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छोटे बच्चों का बुखार

छोटे बच्चों का बुखार काफी परेशानी दे सकता है

बच्चों का बुखार तकलीफदेह होता है. शरीर को हाथ लगाकर देखने के बजाय, थर्मामीटर से बुखार चेक करना चाहिये. इलेक्ट्रानीक थर्मामीटर तो आपको निश्चित अंक वाला तापमान दिखा देते है, इससे बुखार चेक करने मे काफी आसानी होती है. दवाखाना जाने से पहले, बुखार चेक करले और ९८ अंश के ऊपर होगा तो डॉक्टर को दिखाए. गूदद्वार से तापमान चेक करना अच्छा रहता है, पर सावधानी बरते.

बुखार मे क्या करना चाहिये

आराम करना बुखार मे काफी अच्छा होता है. अगर बच्चा खेल कूद कर रहा है, अच्छे से खा-पी

रहा है तो चिंता करने का कोई कारण नहीं. ऐसे मे डॉक्टर की अड्वाइस से बच्चे को पॅरासिटामॉल दे सकते है. अगर बच्चा सुस्त है, उल्टी कर रहा है तो चिंता का विषय है.

बुखार कम करने के लिये

खुली हवा रखे

कपड़ों को ढीला करे

शरीर को गीले कपड़े से पोंछे

यह नहीं करना चाहिये

बच्चों को चादर या स्वेटर मे नहीं लपेटना चाहिये

ठंडे पाणी से स्नान न करे

ठंडे बर्फ से शरीर न पोंछे

तापमान चेक करे

आमतौर पर पालक जरासा तापमान बढ़ने पर दवाई दे देते है, पर यह काफी नुकसान देह हो सकता है. पहले आप तापमान चेक करे. अगर तापमान ज्यादा हो तो ही दवाई दे अन्यथा दवाई न दे.

तापमान काम करने के लिये पॅरासिटमॉल देना ठीक रहेगा. इसके दुष्परिणाम काम होते है.

डॉक्टर के पास कब जाये?

तीन महीने से छोटा है

पेशाब कम हो तो

सात दिन से ज्यादा बुखार हो तो

साँस लेने मे तकलीफ हो तो

शरीर दुख रहा हो तो

और ज्यादा सुस्ती हो तो

इसमे आप को आपके बच्चे को जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिये

बुखार क्यू आता है

जीवाणु , विषाणु से

सर्दी खांसी से

पेशाब मे इन्फेक्शन हो गया तो

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