आम तौर पर इसमे घुटनों मे और शरीर के दूसरे जोड़ों मे दर्द होता है
सुनने मे यह जितना सामान्य लगा रहा है उससे काही ज्यादा तकलीफ इसके कारण होती है. आयुर्वेद मे संधिवात का विस्तृत वर्णन है, जिसमे इसके प्रकार और लक्षण दिए हुये है. संधिवात मे खान पान का काफी महत्व है.
क्या नहीं खाना चाहिये?
सुपारी नहीं कहानी चाहिये. नमक काम खाना. वेफर्स, खास करके पाकिटबंद पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक के सेवन से संधिवात की समस्या और बढ़ सकती है. जामुन जैसे फल, आलू भी तकलीफ बड़ा सकते है . ताली हुई चीजे , साबूदाना से बनी हुई चीजे , मैदे से बनी हुई चीजे काम खानी चाहिये. चने की डाल की बनी हुई बेसन के पदार्थ नहीं खाने चाहिये. ठंडे पाणी की जगह गुनगुना पाणी पीना चाहिये
संधिवाता मे मांसाहार करते हुये सूखे हुई मछली की सब्जी नहीं खानी चाहिये. मांस, मछली संधिवात हुये लोगों ने सेवन न करणा अच्छा रहता है. संधिवाता की बीमारी मे भैस का दूध नहीं सेवन करे, और नहीं दुध के बने हुये पदार्थ खाए.
शहद यह कफ कम करने के काम आता है पर इससे वात प्रवृत्ती मे बढ़ोत्तरी होती है, तथा शहद के सेवन न करने मे ही अच्छाई है. हरी मिर्च और लाल मिर्च से बने पदार्थ से परहेज रखनी चाहिये. रंग किए हुये पदार्थ को नहीं खाना उत्तम है.
संधिवात मे हरी सब्जी खाना काफी तकलीफदायक हो सकता है, सांबार और लहसुन को हरी सब्जी मे डालकर खा सकते है. फल वाली सब्जी सेवन करना संधिवात मे लाभदायक है खासकरके शेवगा, पड़वल, बेंगन की सब्जी. बीट , गाजर , प्याज , ओवा रोज के खाने मे होना चाहिये. चावल से वात प्रवृती मे बढ़त होती है. ठंडी चीजों से दूर रहे एवं ठंडी हवा मे न सोये. स्नान करते वक्त कडुनिम्ब के पत्ते डाल कर स्नान करना चाहिये इससे काफी राहत मिलती है.
व्यायाम रोज करे, अँक्यू प्रेसर थेरपी करे और ध्यान धारना करे. त्रिफला चूर्ण का सेवन काफी लाभदायक होता है.