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1947 और 2020 का अशांत भारत देश।

आजादी से पहले और आजादी के समय भारत अशांत था। चारों तरफ अशान्ति और अनिश्चितता का वातावरण था। जैसे तैसे गुलामी और भूकमरी मे जीवन जी रहे थे भारतवासी। आज 2020 मे लगबग़ वही हालात पैदा हो रहे है। गुलामी की तरफ देश बढ़ राहा है, जैसे अंधेरे कुवे मे फस गये हो और दूर तक कोई आशा की किरण न हो।

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

भारत देश पे अंग्रेजों ने राज किया था। अंग्रेज भारत मे धंदा करने के लिए आये थे क्युकी भारत मे नैसर्गिक संसाधन पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध थे। ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भारत मे अंग्रेज घुसे तो भारत को गुलाम बनाये बगर नहीं छोड़ा। भारत मे शूरवीर राजा- महाराजा थे पर अंग्रेजों की हुकूमत के सामने टिक नहीं पाये। ऐसा ही कुछ हाल आज देश का हो राहा है।

देश तो वही है पर गुलामी की पध्दत बदल गयी है।

क्या समानता है 1947 और 2020 मे?

1947 मे जब बटवारा हुआ और देश के दो टुकड़े हो गये, भारत और पाकिस्तान, तब लोगों ने वही दर्द झेला जो दर्द आज के मजदूरों ने लॉकडाउन के समय झेला। वही दुख-दर्द था, जो उस समय था। कितने लोगों ने भूखे प्यासे चलकर, जान को जोखिम मे डालकर यात्रा की, कई लोगों की यात्रा बिच मे ही छूट गयी तड़फ तड़फ कर मरने से।

ईस्ट इंडिया कंपनी और गुजरात की कंपनी।

भारत के साथ व्यापार करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी, तब किसी ने नहीं सोचा की एकदिन यही कंपनी हमे गुलामी के दलदल मे फसा देगी।

ठीक उसी तरहा आज गुजराती कंपनी वही काम कर रही है। जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश पर राज किया था वैसे ही गुजराती कंपनी देश पर राज करने के लिए तैयार हो रही है।

फिलहाल मे इन गुजराती कंपनीयो को और सरकार को विदेशी लोगों या कंपनी का साथ मिल राहा है। उन विदेशी कंपनीयो के साथ आगे तो बढ़ रहे है पर कही देश को आने वाले समय मे गुलामी के दलदल मे तो नहीं झोंक देंगे, यह तो वक्त ही बताएगा की क्या होगा? पर हमे सावधान रहना चाहिए।

ब्रिटिश राज मे कायदा-कानून सख्त थे।

ब्रिटिश काल मे अंग्रेजों ने अपनी हुकूमत चलाने ने के लिए, कायदा- कानुन सख्त रखा ताकि कोई बग़ावत न कर सके। अगर कोई कानून तोड़ता था तो उसके साथ सक्ती के साथ दंड देते थे।

आज भी वही हो राहा है, हर चीज मे सक्ती की जा रही है। पेशाब करने से लेकर संडास करने तक, हेलमेट से लेकर मास्क तक सबकुछ जबरदस्ती करवाया जा राहा है। चाहे तुम्हारी इच्छा हो या न हो, पर तुमसे दंड वसूला जा राहा है।

अमीरी और गरीबी बढ़ती जा रही है।

ब्रिटिश काल मे गरीबी और भुखमरी चरम सीमा पे थी। जो अंग्रेज सरकार की नौकरी मे थे उनका तो चंगा हाल था पर वो लोग न जिनके पास नौकरी थी और नहीं पैसा वह लोगों गरीबी का जीवन जी रहे थे। जिनके पास धंदे थे, पैसे थे , वह आराम से जी रहे थे अपना पैसा बढ़ा रहे थे। गरीब ओर गरीब हो राहा था और अमीर ओर अमीर हो राहा था।

आज भी देश की वही हालात है, न लोगों के पास पैसा है और न रोजगार। अब जब देश मे रोजगार ही निर्माण नहीं हो रहे है तो लोग कमायेंगे क्या और खायेंगे क्या? जिनके पास पैसा है वह मजे से जी रहे है और जिनके पास नहीं है वह रो रहे है। जो गरीब है आज की हालत मे ओर गरीब गरीब हो रहे है।

स्वदेशी का नारा।

आजादी के समय स्वदेशी के नारे लगाये जाते थे। स्वदेशी अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता था। यहा तक की लोगों ने अपने घरके कपड़े जला डाल थे।

आज भी हमे स्वदेशी के लिए प्रेरित किया जाता है पर वो एक ही देश के लिए, चीन के लिए। क्युकी भारत के धंदे उनके सामने टीक नहीं पा रहे है। इसलिए चाइनीज बॉयकोट मोहीम चलाई जा रही है। बाकी विदेशी चीजों को हम भरपूर उपयोग कर रहे है।

छात्रों की आवाज दबाई गयी।

आजादी के लिए देश का युवा वर्ग प्रेरित था , अपनी जान की बाजी लगाने से भी नहीं चुकता था। स्कूल और कॉलेज आजादी के लड़ाई के केंद्र बन गये थे।

आज भी वही हो राहा है। शिक्षा और छात्रों पर डाव लगाया जा राहा है। जेएनयू के छात्रों को मारा  जा राहा है, पिटा जा राहा है क्युकी वह लोग अपने हक के लिए आवाज उठा रहे है। प्रसाशन सिर्फ देख रहा है। कल भी छात्रों की आवाज दबाई जा रही थी आज भी दबाई जा रही है।

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