जिस तरहा हाथरस मे मौत के बाद भी लडकी तथा उसके परिवार की धज्जिया उड़ाई जा रही है। सरकार और प्रशासन मिलकर यह काम कर राहा है। आज एक बेटी के साथ हुआ है, आने वाले समय मे अनेकों बेटियों के साथ ऐसा होगा। आप की भी बेटी के साथ हो सकता। एक भारतीय होने के नाते इसका विरोध करना चाहिए ताकि दुबारा बेटियों के साथ ऐसा न हो।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
एक पीडिता जिसको लावारिस की तरहा आधी रात को पुलिस और प्रशासन ने पेट्रोल डाल के जला दिया। क्या सही मे पुलिस और प्रशासन ने अच्छा किया? क्या पुलिस का यही काम है? भारत देश मे ऐसा घिनोंना काम पुलिस बिना सरकार की मर्जी से खुद ही कर राहा है? क्या किसी लडकी को मौत के बाद ऐसा करना यह है भारत की संस्कृति, जिसका जिक्र भाषणों मे बार बार किया जाता है। जीते जी तो इस लडकी को न्याय नहीं मिला, मौत के बाद भी उसपर और उसके परिवार पर लांछन लगा रहे है। क्या यह विश्वगुरु भारत है?
जाती के ऊपर उठिए।
इंसानियत सबसे बड़ी होती है, जिसके सामने जात-बिरादरी बहुत छोटी है। थोड़ा जाती से ऊपर उठकर सोचिए, क्या उस लडकी के साथ जो हुआ वह बिलकुल सही था? जिसको पिटा गया, रीढ़ की हड्डी टूट गयी, जबान कट गयी, शरीर खून से लथपट पड़ा था, जो उठके खड़ी भी नहीं हो पा रही थी, पूरी गर्दन ही टूट गयी थी जिसकी वजह से गर्दन एक तरफ हो गयी थी। क्यू मारा गया? क्या कसूर था उसका? क्युकी जबरदस्ती के लिए विरोध कर रही थी। उसको अपाहिज बनाके उसके साथ जबरदस्ती की गयी तब कैसा महसूस हुआ होगा उसको? कितना कष्ट हुआ होगा उसको, कितनी यातनाये हो गयी होगी उसको?
जिसकी भी बहन-बेटी होगी, वह एक बार अवश्य यह सोचे की क्या जो हो राहा है, वह सच मे अच्छा हो राहा है?
पीडिता का चरित्रहनन।
सरकार और मीडिया मिलकर एक मरी हुई लडकी का चरित्रहनन कर राहा है और हम नपुंसक होकर तमाशा देख रहे है क्युकी वह आपकी लडकी नहीं है। आपके लडकी के साथ कुछ नहीं हुआ है, पर अगर ऐसा ही चलेगा तो कुछ दिन के बाद लडकी को कोख मे ही मारना पड़ेगा ताकि कोख से बहार आने पर कोई उसके इज्जत के साथ खिलवाड न कर सके और उसकी सारेआम इज्जत न उछाली जाये।
गरीब होने की सजा मिली है उसे। इस देश मे सबसे बडा पाप है गरीब के घर पैदा होना। आज अगर वह किसी पैसे वाले के घर मे होती तो यह सब नहीं देखना पड़ता उसको। निर्भया एक अच्छे घर से थी तो उसे न्याय मिल गया पर इसे न्याय कहा से मिलेगा। जो गरीब और कम पढे-लिखे परिवार से है।
पीडिता का विडिओ और आरोपी की चिठ्ठी।
सोशल मीडिया पर विडिओ और चिठ्ठी दोनों वाइरल हो गये। विडिओ का तो समझ सकते है की शुरुवात मे वाइरल हो गया पर आरोपी की चिठ्ठी कैसे वाइरल हुई। आरोपी तो जेल मे है, फिर वहा से चिठ्ठी कैसे वाइरल हो गयी? किसने लिखी चिठ्ठी और किसने किये हस्ताक्षर? कौन कर राहा है उनको बचाने का प्रयास?
कुछ चैनल केस पलटने की बात कर रहे है, इस चिठ्ठी की वजह से। पर वह यह भूल गये की पीडिता का एक विडिओ भी है, जिसमे मारपीट और बलात्कार की बात कही है। क्या कोई लडकी मरते वक्त झूठ बोलेगी? इसके विडिओ को ठुकराकर वह चैनल आरोपी की चिठ्ठी को महत्व दे रहे है।
न्यूज चैनल लोगों मे भ्रम पैदा कर रहे है। सरकार कहानी बनाती जा रही है और ये लोग दिखाते जा रहे है। पोलिटिकल पार्टीज और नेता पीडिता के परिवार को भ्रमित कर रही है। इस भ्रम के कारण केस ओर उलझ राहा है।
पीडिता के घरवालों को फ़साने का प्रयत्न।
सीधे साधे लोग, जो खुद की बच्ची की रक्षा नहीं कर पाए, उनपर आरोपी ने अपनी लिखी चिठ्ठी मे कहा की “ लडकी को उसके माँ और भाई ने मारा-पिता है। पिटाई के कारण गंभीर चोटे आई और बाद मे वह मर गई”। खुद को बचाने के लिए आदमी कितनी हद तक गिर सकता है, यह उसी का उदाहरण है।
जिस बच्ची को खुद घरवाले खेत से उठाकर सीधे पुलिस स्टेशन ले जाते है और वही जमीन पर पड़ी रहकर पीड़ित स्वयं बताती है की उसके साथ क्या हुआ? वह सब झुटलाकर मीडिया और सरकार एक आरोपी का साथ देते है। शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को, जो पैसा और पावर के लिए कुछ भी कर देते है।
मौलिक अधिकारों का हनन।
पीडिता के परिवार वालों को घर से और बहार नहीं निकलने दिया जा राहा है, इससे इस पीड़ित परिवार का मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है। यहा तक की उनको फोन भी लिए गये। उनपर बयान के लिए दबाव डाले जा रहे है।
मोदी और योगी पर सवाल क्यू नहीं?
इतना सब कुछ हो गया पर यह दो भारत के प्रतिष्ठित और जिम्मेदार नागरिक इस पर खुल कर सामने नहीं आये। जब की सरकार इनकी है, इनके मर्जी के खिलाप प्रशासन और पुलिस काम कर रही है, तो इन्होंने बताना चाहिए की पुलिस और प्रशासन पर इनका कोई कंट्रोल नहीं राहा तथा यह लोग अपनी मर्जी से काम कर रहे है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ तथा बेटी के न्याय की उम्मीद इनसे क्या कर सकते है जिनकी खुद की ही बेटि नहीं है। जो खुद ही कहते है की वे स्वयं सुरक्षित नहीं है।
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