आजादी के बाद कश्मीर का भारत मे विलीनीकरण होना भारत और पाकिस्तान के लिए कश्मीर एक तनाव का मुद्दा बन गया था। इस मुद्दे मे फिर जाती और धर्म का मुद्दा शामिल हो के ओर जटिल हो गया। अब सरकार ने आर्टिकल 370 निरस्त कर दिया है तो क्या कश्मीर के हालत अब सामान्य हो जाएंगे या पहले से भी खराब हो जाएंगे?
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
भारत और पाकिस्तान की कश्मीर को लेकर लढाई मे सबसे ज्यादा किसी का नुकसान हुआ है तो वो जम्मू और कश्मीर के आम नागरिक का। कश्मीर का सबसे ज्यादा उपयोग हिन्दू और मुसलमान की भावनाओ को भड़काकर राजनैतिक पार्टी को अपना वोट बढ़ाने मे ही हुआ है। उससे भी आगे कहे तो आतंकवादी गतिविधियों को इससे काफी बढ़ावा मिला, जिससे जम्मू और कश्मीर की जनता का ही ज्यादा नुकसान हुआ।
कलम 370 और हिन्दुत्ववादी अजेंडा।
राज्य घटना मे की कलम 370 यह कश्मीर मे रहने वाले हिन्दू और भारत के हिन्दुत्ववादी इनके अजेंडे का एक महत्वपूर्ण मुद्दा राहा है। इस कलम का ज्यादा तर उपयोग मुस्लिम विरोधी जनमत बनाने के लिए हुआ है। मुस्लिम विरोधी भावनाओ को बढ़ाने के लिए इसका हथयार के तौर उपयोग हुआ है।
कल और आज भी इस कलम 370 को वास्तविकता से ज्यादा भावनाओ के आधारे देखा जा राहा है। जिनको कलम 370 की जानकारी भी नहीं है वह भी आज इस पर केवल हिन्दुत्व के मुद्दों पर और वहा पर जमीन खरीद सकते है इस पर इसका समर्थन कर रहे है।
जम्मू कश्मीर का भारत मे विलीनीकरण।
आजादी के बाद अनेक संस्थानों का भारत मे विलीनीकरण हो गया। शुरुवात मे कश्मीर के महाराजा हरीसिंग ने पाकिस्तान और भारत मे विलीन होने से मना कर दिया था तथा स्वतंत्र रहने का फैसला किया था। पर 20 अक्टूबर 1947 को आजाद कश्मीर सेना ने पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर पर आक्रमण कर दिया था। जिससे कश्मीर मे गंभीर हालात पैदा हो गये थे।
तब महाराजा हरीसिंग ने भारत मे शामिल होने का फैसला किया था। 26 अक्टूबर 1947 को भारत मे शामिल होने के लिए महाराजा हरीसिंग और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शमिलनामे(Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किये। जिसके तहत जम्मू और कश्मीर भारत के अविभाज्य अंग बन गये। विशेष दर्जा होते हुए भी जम्मू-कश्मीर भारत का ही अंग था, जिसे कोई दूर नहीं कर सकता था।
विशेष बात कश्मीर की यह थी की यहा बहुसंख्य जनता मुस्लिम थी और राजा हिन्दू था। हस्ताक्षर किये हुये शमिलनामा मे भारत सरकार के तरफ डिफेंस, एक्सटर्नल अफेर और कम्यूनिकेशन का भाग दिया गया और बाकी सब अधिकार राज्य ने खुदके तरफ रख दिए थे।
विशेष दर्जा जम्मू-कश्मीर को क्यू दिया गया?
हैदराबाद को भारत सरकार ने किसी भी विशेष दर्जा न देते हुये भारत देश मे शामिल कर लिया था पर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा क्यू दिया गया? हैदराबाद संस्थान मे निजाम का राज्य था।
जिस तरहा आज कश्मीर को विशेष दर्जा निकाल कर भारत सरकार जम्मू-कश्मीर को संघराज्य बना दिया, यह काम तो उस वक्त भी हो सकता था, पर हुआ नहीं। क्या वहा का महाराजा हिन्दू था इसलिये उनको विशेष दर्जा दिया गया था?
J&k की स्वतंत्र राज्य घटना।
1951-52 मे शेख अब्दुल्ला और पं जवाहरलाल नेहरू इनके बीच समझोंता हो कर जम्मू-कश्मीर की राज्य घटना बनने का काम शुरू हुआ। आगे चलके बक्षी गुलाम महंमद इन्होंने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल मे गुलाम महंमद सादिक, मीर कासीम आदि नेताओ की मदत से कश्मीर की राज्य घटना घटना समिति द्वारा तैयार करके 26 जनवरी 1957 को लागू कर दी।
इस राज्य घटना के साथ ही कश्मीर को भारत से अलग करने की कहानी ही खतम हो गयी थी। क्युकी इस घटना ने यह घोषित किया था कि “जम्मू और कश्मीर राज्य यह भारतीय संघराज्य का एकात्म भाग(Integral Part) है।“ और इसका डायरेक्ट कंट्रोल भारत के राष्ट्रपति को दिया गया था।
कश्मीर मे आपातकाल (Emergency) नहीं कर सकते थे लागू।
भारतीय राज्यघटना के कलम 352 के अधिकार के तहत जम्मू-कश्मीर मे बिना राज्य की सम्मति के अंतर्गत कलह के कारण राष्ट्रपति आपातकाल घोषित नहीं कर सकते थे। साथ मे अर्थव्यवस्था गिरने के कारण से भी आपातकाल घोषित नहीं कर सकते थे।
राज्यघटना को निलंबित करने के अधिकार भी राष्ट्रपति को नहीं थे। जो भी करना था राज्य की सम्मति से करना था।
प्रॉपर्टी के अधिकार की शर्त।
मालमत्ता(Property) को लेकर जम्मू-कश्मीर मे शर्त थी की जो जम्मू-कश्मीर का मूलरहिवासी है वही यहा की प्रॉपर्टी खरीद सकता है। बहार के व्यक्ति के लिए प्रॉपर्टी खरीदने का अधिकार नहीं था। इस प्रॉपर्टी कानून को 1927 मे लागू किया गया था।
आज इस शर्त को सरकार ने खत्म कर दिया है। कोई भी कश्मीर मे प्रॉपर्टी ले सकता है। जाहीर सी बात है की कोई गरीब तो वहा प्रॉपर्टी लेगा नहीं।
अगर देखा जाए तो आपातकाल(Emergency) और प्रॉपर्टी खरीदने का अधिकार यही वह चीजे है जिसकी वजह से कलम 370 को हटाया गया। बाकी ऐसा कोई भी ठोस कारण नहीं है जिसकी वजह से कलम 370 को हटाना अनिवार्य था। कलम 370 के रहते भी जम्मू-कश्मीर भारत का ही अविभाज्य अंग था, जिसे कोई अलग नहीं कर सकता था।
हिन्दुत्ववादी सरकार का मुख्य मुद्दा प्रॉपर्टी के अधिकार को ही लेकर था, ताकि भारत की हिन्दू आबादी कश्मीर मे जाकर प्रॉपर्टी खरीद सके और अपनी जनसंख्या को बढ़ा सके। चंद उद्योगपति जाकर वहा बिजनस कर सके। तथा वक्त पड़ने पर आपातकाल लगा सके।
क्या सिर्फ इतने से मकसद के लिए पूरे जम्मू-कश्मीर मे कलम 370 निरस्त कर वहा के हालात असामान्य कर दिए। जो हालात आज जम्मू-कश्मीर के है क्या उससे खराब हालात नहीं होंगे इसकी गैरन्टी भारत सरकार ले सकती है?
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