Asia Power Index 2020- सिडनी के लोवी इंस्टिट्यूट ने एशिया के ताकतवर देशों की रैंकिंग जारी की है। इसमे भारत को चौथा स्थान मिला है तो चाइना को दूसरा स्थान मिला है। भारत का स्कोर(39.7) चाइना के स्कोर(76.1) के आधे मे है। कोरोना ने चाइना की ईकानमी से ज्यादा भारत की ईकानमी को नुकसान पहुचाया, जबकी यह नुकसान चाइना का होना चाहिए था, आखिर ऐसा हुआ क्यू?
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
लोवी इंस्टिट्यूट ने एशिया पावर इंडेक्स 2020 मे 26 देशों की लिस्ट जारी की है। इसमे पहले पायदान पर यूनाइटेड स्टेट्स, दूसरे पायदान पर चाइना, तीसरे पायदान पर जापान तो चौथे पायदान पर भारत है। रिपोर्ट मे भारत की स्थिती पहले के मुकाबले काफी गंभीर बताई गयी है। वही भारत को महसत्ता बनने के लिए काफी समय लगेगा ऐसा कहा गाया है। महामारी और सरकार की नीतियों के कारण रैंकिंग घटी है।
एशिया पावर इंडेक्स 2020 रैंकिंग।
यूनाइटेड स्टेट्स 81.6 स्कोर के साथ पहले पायदान पर है तो चाइना 76.1 स्कोर के साथ दूसरे पायदान पर है। जापान 41.0 के तीसरे, भारत 39.7 के साथ चौथे पायदान पर है।
यह रैंकिंग चार भागों मे बाटी गई है। माइनर पावर जो 0-10 पॉइंट, मिडल पावर जो 10-40 पॉइंट, मेजर पावर 40-70 पॉइंट और सुपर पावर 70-100 पॉइंट। अमेरिका 81.6 पॉइंट के साथ और चाइना 76.1 के साथ सुपर पावर बने हुए है। वही भारत 39.7 पॉइंट के साथ मिडल पावर बना हुआ है।
2019 की लेवल भारत का बाउन्स बैक रिकवरी।
अपने देश को 2019 की स्थिती वापस लाने के लिए साल 2022 लगेगा। चाइना की ईकानमी बाकी सभी देशों से जल्दी से उभर कर आयी है, वही प्रगत देश जैसे यूनाइटेड स्टेट्स और जापान को वापसी के लिए 2024 और 2027 लगेगा। चाइना के बढ़ने के कारण यूएस का एशिया के देशों पर का प्रभाव कम हो रहा है।
टेक्नॉलाजिकल गैप।
2020 मे चाइना और यूनाइटेड स्टेट्स का टेक्नॉलाजिकल गैप काफी बढा हुआ है। दुनिया के 500 सुपर कंप्युटर मे से 229 चाइना के पास है तो यूनाइटेड स्टेट्स के पास 117 सुपर कंप्युटर है और जापान के पास 29 है।
यूनाइटेड स्टेट्स ने 615 सॅटॅलाइट लॉन्च किये है तो चाइना ने 168 लॉन्च किये है। रशिया ने 44 और जापान ने 33 सॅटॅलाइट लॉन्च किये है।
भारत की स्थिती।
2019 के 41.0 पॉइंट से 2020 मे 39.7 की गिरावट के साथ भारत का महासत्ता बनने का सपना काफी दूर चला गया है। आने वाले कई सालों मे भारत अपना पावर स्टैटस रिकवर कर लेगा पर अभी जो आँकड़े है वह इसके फिलहाल मे हुए नुकसान को दर्शाते है।
चाइना की तरहा भारत की जनसंख्या बडी है पर कुछ सालों मे भारत चाइना के लेवल तक पहुचेगा यह अवास्तव है। कोरोना के कारण दो देशों मे काफी अंतर बढ चुका है। आज की स्थिती मे भारत चाइना के सिर्फ 40 फीसदी इकनॉमिक आउटपुट तक अगले 10 सालों मे पोहोच पाएगा, जो 2019 मे 50 फीसदी आकलन किया गया था। सभी इंडेक्स पर भारत की वृद्धि असमतल चल रही है।
रिन्यूवेबल एनर्जी।
2020 ने चाइना सबसे बडा ग्रीन हाउस उत्सर्जक होने के साथ चाइना ने रिन्यूवेबल एनर्जी महत्वपूर्ण निवेश किया है। चाइना रिन्यूवेबल एनर्जी से 1600,000 Gwh इलेक्ट्रिसिटी निर्माण कर रह है तो यूनाइटेड स्टेट्स 700,000 Gwh निर्माण कर रहा है। वही भारत 200,000 से थोड़ा ज्यादा कर रहा है, जो की चाइना के तुलना मे बहुतही कम है।
शक्तिशाली होने का मापदंड।
लोवी इंस्टिट्यूट अपने एशिया पावर इंडेक्स को मुख्यता 8 मापदंडों पर तोलती है। जिसमे इकनॉमिक रिसोर्स, मिलिटरी कैपबिलटी, रेसीलीन्स, फ्यूचर रिसोर्स, इकनॉमिक रीलैशनशिप, डिफेन्स नेटवर्क, डिप्लमैटिक इन्फ्लूअन्स और कल्चरल इन्फ्लूअन्स है।
भारत डिफेन्स नेटवर्क मे(+1.8) उछाल के साथ बाकी के मापदंडों पर कमजोर पडा है, जिससे भारत की रैंकिंग पर असर पडा है। जिसकी वजह से भारत महासत्ता के मार्ग से भटक गया है।
वही आनेवाले समय मे चीन अमेरिका को पीछे डालकर महासत्ता बनने के लिए तैयार है। सरकार ने अपनी ही नीतियों का बराबर उपयोग न करके खुदकों ही इस रेस मे पीछे धकेल दिया है। जहा कोरोना का उगम हुआ उससे ज्यादा परिणाम भारत पे हुआ जबकी सबसे ज्यादा कोरोना का परिणाम चाइना पे होना चाहिए था।
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