सीबीआई(CBI) की विशेष अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस केस मे 28 साल बाद फैसला सुनाया। सीबीआई कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा सीबीआई बाबरी मस्जिद विध्वंस केस मे सबूत जुटाने मे नाकाम रही।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
बाबरी मस्जिद विध्वंस(Babri Masjid Demolition) केस मे कोर्ट ने कहा की सीबीआई सबूत जुटाने मे नाकाम रही। जज एसके यादव ने कहा केस मे मजबूत साक्ष्य नहीं है। मौजूद नेताओ ने भीड़ को रोकने की कोशिश की। उन्होंने कहा की घटना पूर्वनियोजित नहीं थी। जो कुछ हुआ वह अचानक हुआ। फोटो, विडिओ के साक्ष्य मान्य नहीं।
बाबरी मस्जिद(Babri Masjid)।
बाबरी मस्जिद को प्रथम मुगल सम्राट बाबर के आदेश पर 1527 मे बनाया गया था। मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण कर इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा। यह मस्जिद भारत के बड़े मस्जिदों मे से एक थी। पर अयोध्या विवाद के कारण इसे बड़ा बनाया गया।
रामकोट पहाड़ी पर उत्तर प्रदेश मे बनी इस मस्जिद को रैली के आयोजके द्वारा मस्जिद को नुकसान न पहुचाने की सुप्रीम कोर्ट की वचन बद्धता के बावजूत 1992 मे 150,000 लोगों की हिंसक रैली, जो दंगे मे बदल गयी, इसमे मस्जिद विध्वस्त हो गयी। इसकी वजह से पूरे भारत देश मे हुये दंगों मे 2000 से अधिक लोग मारे गये। इस रैली का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद, बीजेपी और अन्य हिन्दू संघटनों ने मिलकर किया था। इसमे 150,000 कार सेवक शामिल हुए थे। रैली के लोगों के हाथों मे कुल्हाड़ी, हथोड़े थे, जो मस्जिद को गिराने के काम आये।
मुस्लिमों का दावा।
मुस्लिमों का दावा है की पुरातत्व विभाग द्वारा तैयार की गयी रिपोर्ट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS), विश्व हिन्दू परिषद और अन्य संघटनों के दावों के भरोसे पर की गयी है, जो की राजनीति से प्रेरित है। आलोचकों का कहना है की जगह जगह पशु की हड्डियों के साथ सुर्खी और चुना-गारा पाया गया, यह मुसलमानों के मौजूदगी के लक्षण है। जो हिन्दू मंदिर की संभावना को खारिज करते है।
23 दिसम्बर 1949 को अवैध रूपसे मस्जिद मे राम की मूर्तियों को रखा गया, उस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जेबी पंत को पत्र लिखके गड़बड़ी सुधारने की मांग की थी, जो की आनेवाले समय मे खतरनाक मिसाल के तौर पर स्थापित हो सकती है। स्थानीय प्रशासक, फैजाबाद के उपायुक्त केके नायर ने राम की मूर्तियों को मस्जिद से हटाने से मना कर दिया था।
लिब्राहान आयोग(Liberhan Commission)।
6 दिसम्बर 1992 मे बाबरी मस्जिद विध्वंस की जाँच के लिए भारत सरकार ने 16 दिसम्बर 1992 लिब्राहान आयोग(Liberhan Commission) गठित किया। 16 सालों से भी अधिक समय तक जाँच करने के बाद 30 जून 2009 मे आयोग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंग को रिपोर्ट सौपी।
इस रिपोर्ट ने मस्जिद के विध्वंस के लिए भारत सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी और हिन्दू राष्ट्रवादियों को दोषी ठहराया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंग की भी रिपोर्ट मे आलोचना की गयी थी। उन पर आरोप था की ऐसे नौकरशाह और पुलिस को वारदात वाली जगह तैनात किया था, जो विध्वंस के दौरान मुक बनकर खड़े रहे।
भारतीय पुलिस अधिकारी अंजू गुप्ता, जो आडवाणी की सुरक्षा प्रभारी थी। उन्होंने खुलासा किया था की आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी ने भड़काऊ भाषण दिए थे।
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