सरकार लोगों का ध्यान रखती थी पर आज की सरकार लोगों को डरा रही है। लोगों की सुनवाई होती थी, पर अब कोई सुनवाई नहीं।
जिस तरहा पूरी दुनिया मे कोरोना का जाल बुन गया और कोरोना कितना खतरनाक है यह दिखाने की कोशिश की गयी। इस कोरोना के डर के आगे पहले से डरे हुये लोग ओर डरने लगे। पिछले कुछ सालों से जिस तरहा लोगों को डराया जा राहा था, उसकी यह चरम सीमा हो गयी। पहले सरकार लोगों का ध्यान रखती थी पर आज की सरकार लोगों को डरा रही है। डर की राजनीति कर रही है। पहले सरकार के यहा लोगों की सुनवाई होती थी, पर अब कोई सुनवाई नहीं। पुलिस और प्रशाशन को हाथ मे लेकर लोगों को डराया जा राहा है। लेकिन के कहावत है की ‘ किसी को इतना मत डराओ की लोग डर से ही डरना छोड़ दे। ‘ और आज यही स्थिति आ गयी है।
पिछले कुछ सालों से कोर्ट के जज खुदकों बचाने के लिए बोल रहे है, वकील हड़ताल पे जा रहे है ,पुलिसकर्मी भी सड़क पर आ कर बचाने के लिए बोल रहे है। पत्रकार बचाने की मांग कर रहे है। आम लोगों की तो कोई सुनवाई ही नहीं। हिन्दू धर्म खतरे मे है उसे बचाने की मांग कुछ लोग कर रहे है, जब की सरकार ही हिन्दू धर्म को मानने वाली बैठी है तो सरकार के होते हुये धर्म को कैसा खतरा यह भी सोचने वाली बात है। महंगाई तो इतनी बढ़ी है, ऐसे लग राहा है की हम वीदेश मे आ गये है क्युकी हम को हमारे देश मे सस्ता खाने की आदत थी।
पहले थोड़ी सी किमते बढ़ी तो अपोजीशन पार्टी (जो भाजपा होती थी ) सड़क पर आती थी और न्यूज चैनल तो हल्ला बोल कर देते थे, पर आज सब चुप बैठे है, जैसे किसिको कुछ लेना देना ही नहीं है। महंगाई बढ़े तो बढ़े हमे क्या? ऐसे हालात हो गये है। लॉकडाउन के कारण या देश की नीतियों के कारण अनेकों लोगों की नौकरीया चली गयी, बेरोजगारी तो अपने चरम सीमा पर है , पर फिर भी खामोशी है, जसे लोगों ने धर्म की गोली खा ली हो और सुस्ता गये हो। पर धर्म को मानने वाले यह भूल गये की इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है, जिसमे किसी को नफरत करने के लिए कोई जगह नहीं है।
देश मे काफी कुछ बदल गया ऐसा दिखाया जा राहा है, पर एक आम इन्सान की कमाई जो पहले थी अभी भी उतनी ही है या उससे कम हो गयी है। इस वजह से गरीब और गरीब होता जा राहा है। 2014 मे चीजों की किमते और 2020 मे उसी चीजों की किमते, इससे आप अंदाजा लगा सकते है। चीजों की किमते तो बढ़ी पर क्या आम आदमी की इनकम उसी प्रपोर्शन मे बढ़ी? नहीं बढ़ी, पर आज की स्थिति देख कर ऐसा लग राहा है की सब अमीर हो गये है। सरकार को लग राहा है जैसे देश से गरीबी गायब हो गयी है।
हालाकी इस महंगाई के दौर मे इंटरनेट डाटा अपने फायदे के लिए कंपनी ने सस्ता कर दिया तो क्या सरकार देश के लोगों के फायदे के लिए महंगाई कम नहीं कर सकती। इसका दुष्परिणाम आने वाले समय मे काफी घातक हो सकता है । इससे अमीरी और गरीबी की खाई ओर बढ़ी हो सकती है । आज भी देखा जाये तो नैतिकता की जगह पैसे ने ली है। देश मे भाईचारे की जगह नफरत ने ली है, जैसे हम भारतवासी अलग-अलग हो गये हो । अखंड भारत टुकड़ों मे बट राहा है ।
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