इसके पहले बीएसएनएल(BSNL) ने 30 हजार कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी को निकाला था। इसमें भी निकाले गये कर्मचारी को 1 साल से ज्यादा का वेतन नहीं दिया था।
न्यूज़ मेडियेटर्स। जहा कोरोना वायरस और लॉकडाउन का परिणाम अनेको कंपनी पर हुआ , जिसमे कंपनी की आर्थिक स्थिति ख़राब हो गयी। इतनी की कंपनी को कर्मचारी को निकलना पड़ा या उनकी सैलरी घटानी पड़ी। यह प्राइवेट कंपनीज में ज्यादा हुआ। पर अब सरकारी कंपनी बीएसएनएल पर कर्मचारी हमेशा के लिए निकालने की नौबत आ गयी, वो भी कोंट्राक्टुअल कर्मचारी को , जिनका पहलेसे ही कोई ठिकाना नहीं, वह कर्मचारी अब क्या करेंगे।
बीएसएनएल की कर्मचारी यूनियन ने दावा किया है की भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने लगभग 20000 कर्मचारी को काम से निकालने का फैसला लिया है। इसके पहले बीएसएनएल ने 30 हजार कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी को निकाला था। इसमें भी निकाले गये कर्मचारी को 1 साल से ज्यादा का वेतन नहीं दिया था।
यूनियन ने बीएसएनएल के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पि के पुरवार को लिखे खत में कहा की स्वेच्छा निवृति योजना (VRS) के बाद भी कंपनी की आर्थिक हालत और गंभीर हो गयी है। अनेको शहरों में मैनपावर नहीं होने की वजह से नेटवर्क दोषो की समस्या बढ़ी है।
यूनियन ने और कहा है की व्हीआरएस योजना लागू करने के बाद भी कर्मचारियों को नियमित पगार नहीं मिला है, इसकी वजह से 13 कॉन्ट्रेट कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली है।
बीएसएनएल के एचआर ने 1 सितम्बर को सभी मुख्य महाव्यवस्थापक को कर्मचारी के खर्चे में कटौती करने के आदेश दिए है। और ठेकेदारों के कर्मचारी की कटौती करने को कहा है।