मरीज अस्पताल जाने के बाद घर वापस नहीं जा पा रहे है। सीधा हो रहे दुनिया से अलविदा।
जिस तरहा से कोविड 19 के फैलाव के बारे मे बताया जा राहा था , उस तरहा से तो पूरी दुनिया और पूरे भारत वर्ष को कोरोना ग्रसित हो जाना चाहिए था। पर आज की स्थिति देखते है तो कोरोना वायरस एक ऐसा वायरस है जो टी.बी. की बीमारी से भी कम फैल राहा है, याने एक टी.बी. मरीज से 10 से 20 लोग संक्रमित हो सकते है, जब की कोरोना वायरस से सिर्फ 2 ही लोग संक्रमित हो रहे है। याने कोरोना वायरस को जितना खतरनाक बताया जा राहा है, वह उतना खतरनाक नहीं है।
लेकिन भारत के आईसीएमआर ने डब्ल्यूएचओ के गाइड्लाइन के अनुसार अस्पताल मे आने वाले हर मृत पैशन्ट को कोरोना पाज़िटिव बताने के लिए डॉक्टर को बाध्य कर रही है, जिसके चलते अनेकों डॉक्टर की संघटनाओ ने कोर्ट मे केस फाइल की है।
सरकार डॉक्टर को कोरोना वॉरिअर बता रही है, जिसके चलते सरकारी डॉक्टर की मनमानी शुरू हो गयी है। यहा तक बाते सामने आ रही है की “ अगर कुछ ज्यादा बोलोगे तो मारकर कोरोना घोषित कर देंगे ऐसी धमकीया डॉक्टर पैशन्ट को मिल रही है।” अनेकों पैशन्ट अस्पताल मे जा तो रहे है पर जिंदा वापिस नहीं आ रहे है। किसी भी बीमारी को लेके अस्पताल गये तो उसे कोरोना पाज़िटिव घोषित करके मरवा दे रहे है।
नागपूर के लश्करीबाग़ इलाके मे ऐसा काफी केसेस हो चुके है जो सरकारी मेयो अस्पताल ईलाज करवाने गये पर वापिस नहीं आये। इसकी वजह से लोगों को अस्पताल को लेकर काफी डर फैला हुआ है। लोग अस्पताल जाने से डर रहे है। हालाकी तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल जाना चाहिए पर लोग डर के मारे अस्पताल नहीं जा रहे है। और भी भारत मे कई जगह ऐसे केसेस हो चुके है। इससे तो यही जाहीर हो राहा की लोगो के लिए कोरोना से ज्यादा अस्पताल खतरनाक हो रहे है।