ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी(Oxford University) द्वारा तैयार की गयी कोरोना की वैक्सीन AZD1222 की वजह से एक व्यक्ति मे गंभीर दुष्प्रभाव देखे गये तो वैक्सीन का यू.के. मे अंतिम ट्रायल को रोका गया। भारत मे भी इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल(Clinical Trial) शुरू है, इसके साथ ओर दो कंपनीयो के ट्रायल भी शुरू है।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर ।
कोरोना के इलाज मे जो दवाईया और वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल(Clinical Trial) मे उपयोग कर रहे है, उससे लोगों पर कई गंभीर साइड इफेक्ट हो सकते है। क्लीनिकल ट्रायल मे गंभीर परिणामों के साथ व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
भारत मे जो क्लीनिकल ट्रायल शुरू है वह साधारणता फेज 3 के ही चालू है। फेज 3 के ट्रायल के लिए हजारों लोगों की जरूरत होती है। इन हजारों लोगों पर ट्रायल करने के बाद अगर वह वैक्सीन कोई गंभीर परिणाम नहीं दिखाती तो उसे पब्लिक के लिए उपलब्ध कराई जाती है।
इन कंपनीयो के क्लीनिकल ट्रायल भारत मे शुरू है।
आईसीएमआर डायरेक्टर जनरल डॉ. बलराम भार्गव ने एक प्रेस कॉनफेरेंस मे कहा था की “ भारत मे दो वैक्सीन – भारत बायोटेक(Bharat Biotech) की वैक्सीन और डिएनए(DNA) वैक्सीन ऑफ झायडस काडिला (Zydus Cadila) यह कोरोना वैक्सीन फेज 1 समाप्त करके फेज 2 के तरफ जा रहे है और तीसरी है ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन। “
कोवाक्सिन यह वैक्सीन भारत बायोटेक ने नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोंलोगी के साथ मिलकर बनायी है। इसे 15 अगस्त को पब्लिक के लिये लॉन्च करने का था। निज़ाम इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, हैदराबाद यह एक ट्रायल सेंटर था जिसमे फेज 1 मे 750 व्यक्तियो पे ट्रायल किया गया था। इसके जैसे 12 सेंटर पर यह टेस्टिंग की गई। झायडस काडिला की फेज 1 ट्रायल अहमदाबाद कीया गया।
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की फेज 3 ट्रायल भारत मे शुरू हो गयी, जो सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की देख रेख मे हो रही है। इसकी ट्रायल लगभग 20 सेंटर पे शुरू है। इस वैक्सीन को कोविशील्ड कहा गया है।
बाकी देशों मे ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का ट्रायल रोक, पर भारत मे शुरू।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने कहा की “ यू.के. मे वैक्सीन की ट्रायल पर रोक लगा दी है, पर भारत मे इसकी ट्रायल शुरू रहेगी क्युकी भारत मे रोक लगाने लायक वैक्सीन ट्रायल मे कुछ नहीं हुआ। हमारे वैक्सीन का निर्माण अपने शेडुल के तहत ही चलेगा।”
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की फन्डिंग।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को बिल एण्ड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की तरफ से इस वैक्सीन को सपोर्ट करने के लिए US$150 मिलियन की फन्डिंग मिली है। इसकी डील सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, गवी(Gavi), बिल एण्ड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और अस्त्राजेनेका(Astrazeneca) की बीच हुई थी।
अब सवाल यह उठता है की जब तीन कंपनीयो की पहलेसे ही क्लीनिकल ट्रायल शुरू थी तो भारत सरकार रूस की वैक्सीन स्पुट्निक वी(Sputnik-V) को क्यू ला रही है, जब की वह भी फेज 3 के क्लीनिकल ट्रायल पीरीअड मे है ? पहले से ही लोगों पर दवाइयों और वैक्सीन के प्रयोग के गंभीर परिणाम हो रहे है, उस पर अलग अलग वैक्सीन लाकर कब तक क्लीनिकल ट्रायल करते रहेंगेऔर लोगों के ज़िंदगीयो से खेलते रहेंगे।
एक प्रण करना है, देश को बचना है।