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कोरोना वैक्सीन ऑक्सफोर्ड पर भारत मे रोक, बाकी सब शुरू

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और अस्त्राजेनेका द्वारा तैयार की गयी कोरोना वैक्सीन की ट्रायल को भारत मे रोका गया। इस वैक्सीन से व्यक्ति में कुछ गंभीर दुष्प्रभाव देखा गया है, इसलिये इसे भारत के साथ अन्य देशों मे भी रोका गया।

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी और अस्त्राजेनेका द्वारा तैयार की गयी कोरोना की वैक्सीन AZD1222 को अंतिम ट्रायल में रोका गया। इस वैक्सीन के ट्रायल से व्यक्ति में गंभीर दुष्प्रभाव देखा गया है और परीक्षण को रोक दिया गया।

पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा था के “भारत मे ट्रायल शुरू रहेगा क्युकी भारत मे ऐसी कोई घटना नहीं घटी”। इसके बाद ड्रग्स कन्ट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टिट्यूट को नोटिस जारी किया। फिलहाल वैक्सीन की ट्रायल को रोक दिया है ।

भारत मे पहला कोरोना वैक्सीन ट्रायल।

भारत मे सबसे पहले ट्रायल को मंजूरी मिली वह कंपनी थी भारत बायोटेक। इस कंपनी को फेज 1 और फेज 2 ट्रायल करने का अप्रूवल मिला था। ड्रग्स कन्ट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drugs Controller General of India) ने मनुष्यों पर क्लीनिकल ट्रायल(Human Clinical Trials) करने के लिए जून मे मंजूरी दी थी।  

भारत बायोटेक ने कोरोना वैक्सीन, इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च(ICMR) और नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलोगी (NIV ) के साथ मिलकर बनाई थी । जिसे भारत के अपनी वैक्सीन “कोवाक्सिन” कहा गया।

मनुष्यों पर टेस्ट करने के लिए आईसीएमआर ने 12 इंस्टिट्यूट को चुना – जो ओडिशा , विशाखापटनम , रोहतक , न्यू दिल्ली , पटना , बेलगाव , नागपूर , गोरखपुर, कट्टनकुलाथूर , हैदराबाद , आर्या नगर, कानपुर और गोवा मे स्थित थे।

भारत मे दो तरहा के ट्रायल शुरू।

पहला क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trials)दवाइयों का हुवा, जिसमे रेमडेसिवीर (Remdesivir), टोसिलिजुमब (Tocilizumab), हाइड्रोक्सीक्लोरोकिन (Hydroxychloroquine), फेविपिरवीर (Favipirvir), रिटोनावीर+लोपिनावीर (Ritonavir+Lopinavir) ऐसी अनेकों दवाइया थी। यह सारी प्रयोगात्मक दवाईया (Experimental Drugs) थी, जिनका क्या परिणाम होगा यह पता नहीं था। हो सकता है इन दवाइयों से अनेकों गंभीर परिणाम हुये हो या मरीज की मौत हो गयी हो। इसमे जो मरीज पहलेसे ही बीमार है, उसको यह दवाईया दी जाती है। भारत मे इन क्लीनिकल ट्रायल का स्टैन्डर्डिज़ैशन नहीं है, जिससे की पता चल सके की सच मे हुवा क्या है?

दूसरा क्लीनिकल ट्रायल हुवा इन्जेक्शन(वैक्सीन) का, जिसमे भारत बायोकॉन, झाईडस काडिला , ऑक्सफोर्ड, पैनासीया बायोटेक, इंडियन इममूनोलॉगिकल्स, मीनवॅक्स आदि कंपनीज कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने के लिए रेस मे लगी थी। यह तो पूरी तरहा नया फार्मूला बना रहे थे , जिसका क्या परिणाम होगा किसी को पता नहीं था। इनमे से कुछ कंपनी को मनुष्य पर क्लीनिकल ट्रायल करने का अप्रूवल मिल था और इसका ज्यादा तर ट्रायल तंदुरुस्त व्यक्ति पे हुआ। इससे उस तंदुरुस्त व्यक्ति के साथ क्या हुआ होगा कुछ पता नहीं।

जम्मी नागराज राव यूके के हेल्थ फिज़िशन के अनुसार “भारत के क्लीनिकल ट्रायल बुरी तरह से डिजाइन किया हुआ है, जो काफी दर्दनाक है।“

मेडिकल संशोधकों और एक्सपर्ट का कहना है की “भारत मे क्लीनिकल ट्रायल को भरोसेमंद बनाने के लिए कठोरता की आवश्यकता है। यहा के ट्रायल मे प्रतिभागियों की कमी होती है और ग्लोबल स्टैन्डर्ड नहीं अपनाये जाते।“

पढे : भारत मे तीन कंपनीयो के कोरोना वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल(Clinical Trial) शुरू है, चौथी क्यू?

फार्मा कंपनीज रेस मे लगी हुई है।

अभी तक कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं मिला है। इसका फायदा उठाते हुये, फार्मा कंपनीज अपने पुराने दवाइयों को पुनः उपयोग मे लाने के लिए दौड़ रहे है, जो की अभी तक हेल्थ अथॉरिटी से अप्रूव नहीं थी, उनका उपयोग करना खतरनाक साबित हो सकता था। अब इस खतरनाक दवाई को जो पहले अप्रूव नहीं थी उसे अप्रूव करके लोगों पर इस्तेमाल किया जा राहा है, जिसके चलते आने वाले समय मे काफी गंभीर परिणाम हो सकते है, यहा तक कि मौत भी हो सकती है। हेल्थ अथॉरिटी भी इन दवाइयों को जल्दबाजी मे अप्रूव कर रही है।

ऐसे मे लोग भी दुविधा मे है की क्या करे, किस पे विश्वास करे? क्युकी मरीजों के पास तो कोई चॉइस है ही नहीं इसलिये मजबूरन दवाखाना जाना पड़ता है, पर वहा पर इनके साथ क्या होगा यह हमारे लिये और आपके लिये सोचने वाली और जानने वाली बात है। यह तो ऐसी बात हो गयी की “इधर खाई और उधर कुआ। “

जैसे कोई इलेक्ट्रॉनिक वस्तु अगर बराबर नहीं बनी तो उससे करंट लगने का खतरा होता है, गाड़ी अगर बराबर नहीं बनी तो एक्सीडेंट होने का खतरा होता है, उसी तरहा अगर दवाई बारबार नहीं बनी तो उससे भी तो खतरा हो सकता है।

सोचिए की अगर आपका कोई सगासंबंधी किसी क्लीनिकल ट्रायल मे मारा जाता है तो आपको कैसा लगेगा। भारत के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा कर्तव्य है की ऐसी किसी भी तरहा की ट्रायल को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की सरकार से मांग करे या ट्रायल होने ही न दे।

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