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शिक्षा और सरकारी उद्योगों का निजीकरण किया तो देश होगा बर्बाद।

शिक्षा और नौकरी एक दूसरे से जुड़े हुये है। कोई भी व्यक्ति पढ़ाई इसी आस मे करता है की अच्छी पढ़ाई करूंगा तो अच्छी नौकरी मिलेगी पर अगर नौकरी मिलना ही बंद हो जायेगा तो पढ़ाई का अर्थ ही क्या रह जायेगा?

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

भारत के इतिहास मे शिक्षा को काफी महत्व दिया हुवा है। शिक्षा ही वह चीज है, जो आपको उन्नत बनाती है। दुनिया का कोई भी देश देखोगे तो जो उन्नत देश है वह शिक्षित जरूर है, जो उन्नत नहीं है वह अशिक्षित है।

भारत मे भी आप शिक्षित वर्ग को और अशिक्षित वर्ग को देखोगे तो आपको महुसूस होगा की जीवन मे शिक्षा का कितना महत्व है। शिक्षा का उपयोग अच्छे कामों के लीये वरदान जैसा है।

शिक्षा और सरकारी नौकरी।

जब भारत देश अंग्रेजों की हुकूमत के नीचे था तब भी अंग्रेजों ने शिक्षा को हर वर्ग के लोगों मे फैलाया चाहे वह खुद के फायदे के लिये किया हो पर इससे हमारे देश के लोगों का काफी फायदा हुआ। जो लोग पढ़ नहीं सकते थे उन्हे पढ़ने का मौका मिला, जिससे उनको दुनियादारी समझने लगी।

अंग्रेजी हुकूमत मे अच्छी नौकरी मिलने के लिए सभी जाती के लोग पढ़ते थे ताकी एक अधिकार वाला पद मिल सके। उच्च शिक्षण लेने का एकही मकसद होता था कलेक्टर लेवल की नौकरी मिले। इतने सालों के बाद आज भी पढ़ाई का वही मकसद है की पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी मिलेगी नहीं तो हमाली ही करनी पड़ेगी।

सरकारी कंपनीयो का निजीकरण।

जब पढ़ाई का एक ही मकसद है की पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी मिलेगी तो सोचिए जब सरकारी कंपनीयो का निजीकरण हो जायेगा तो देश के शिक्षा प्रणाली पर कितना असर पड़ेगा। आज जो लोग इतना उच्च शिक्षण ले रहे है क्या कल भी वह लोग इतना ही उच्च शिक्षण लेंगे। क्या शिक्षा लेने की उतनी ईच्छाशक्ति रहेगी। बिना मतलब के कोई पढ़ाई करेगा।

कुछ लोग कहेंगे की सरकारी नौकरी नहीं तो प्राइवेट कंपनी मे तो नौकरी रहेगी तो इसके लिए पढ़ाई करेंगे। पर आपको बता दे प्राइवेट कंपनी मे आप की शिक्षा से ज्यादा आपका अनुभव क्या है इसपे ज्यादा जोर दिया जाता है। प्राइवेट कंपनी मे शिक्षा को उतना महत्व नहीं दिया जाता, वहा पर आपकी अगर पहचान रहेगी तो भी चल जायेगा, आपको नौकरी मिल जाएगी। किसी भी कंपनी के मालक का लड़का अगर पढ़ा लिखा नहीं रहेगा तो भी वह कंपनी का डायरेक्टर बन जायेगा।

जैसे ही सरकारी कंपनीयो का निजीकरण हो जायेगा, शिक्षा अपने आप कम हो जाएगी। शायद सरकार का यह मकसद हो सकता है की लोग अनपढ़ ही रहे।

शिक्षा का निजीकरण।

शिक्षा ही वह चीज है जिसके दम पर आप दुनिया जीत सकते है। अगर शिक्षा नहीं रही तो समझो आप गुलाम बन गये हो, आपकी आने वाली पीढ़ी गुलाम बनकर ही पैदा होगी और वो आपको माफ नहीं करेगी की जब आप उसे रोक सकते थे तो रोका क्यू नहीं पूछेगी।

आज के समय मे शिक्षा काफी महंगी हो चुकी है। धीर धीरे आम नागरिक के पोहोच के बहार हो रही है। यदि शिक्षा का निजीकरण हो जाता है तो शिक्षा बिलकुल ही महंगी हो जाएगी और पढ़ना-लिखना तो एक ख्वाब जैसा हो जायेगा। गरीब और मजदूर लोगों के लिए आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं रहेगा।

फिलहाल शिक्षा नीति 2020 से तो ऐसा ही लगता है की सरकार शिक्षा को निजी हाथों या कॉर्पोरेट हाथों मे सोपने के लीये तैयार बैठी है। इसमे सरकारी शिक्षा संस्था के साथ प्राइवेट संस्थाओ को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे सरकार सरकारी शिक्षण संस्थाओ के साथ निजी शिक्षण संस्थाओ का काम्पिटिशन लगा रही हो। पहले से ही सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक संस्थाओ की हालत खराब है, ऐसे मे इस काम्पिटिशन मे सरकारी संस्थाये कहा टिक पायेगी। इसमे तो केवल जो अमीर है वही लोग टिक पाएंगे, गरीब लोग प्राइवेट स्कूल मे नहीं पढ़ा पायेंगे।

केवल स्किल और व्यवसाय निर्धारित शिक्षा से देश का भविष्य नहीं बनेगा बल्कि उससे सिर्फ मुनाफा कमाने वाली कंपनी बनेगी और लालची लोग बनेंगे। जो सिर्फ मुनाफे के लिए काम करेंगे, इनकी सोशल रेसपोनसीबलिटी कुछ नहीं होगी क्युकी की यह सब कुछ समजने के लायक ही नहीं रहेंगे। स्किल और व्यवसाय निर्धारित शिक्षा देश का भविष्य सुरक्षित नहीं कर सकती।

देश का भविष्य सुरक्षित करने के लिए अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी नौकरी जरूरी है।

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