ग्लोबलाईजेशन(Globalization) के तहत कई देशों की वस्तुए और मनुष्य एक देश से दूसरे देश बिना किसी रोकटोक के जा सकती है। यही ग्लोबलाईजेशन का मुख्य उदेश्य है। जिससे देश को फायदा होता है, ऐसा हमे बताया गया। पर वस्तुओ और मनुष्यों के साथ कोरोना जैसी बीमारी भी एक दूसरे के साथ एक दूसरे के देश मे जाती है और देश को फायदे की जगह नुकसान होता है। तो फिर क्या सचमे अच्छा है यह ग्लोबलाईजेशन का दौर, जिसमे दुनिया एक ग्लोबल विलेज(Global Village) बन गयी है?
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
ग्लोबलाईजेशन(Globalization) के द्वारा दुनिया के सभी अर्थव्यवस्था को एक दूसरे से जोडकर वस्तु और सर्विस को बिना किसी बंधन के मुक्त तरीके से एक दूसरे के देश मे जाने देते है। इसमे वस्तु और सेवाओ के साथ टेक्नॉलजी एवं मनुष्य या लेबर का भी आना जाना होता है।
चीन से निकला कोरोना वायरस घूमते घूमते भारत पहुचा। अगर विदेश से भारत मे कोई नहीं आता तो क्या कोरोना भारत मे पहुच सकता था?
सरकार गलती करे और भुगते जनता।
भारत मे कोरोना का पहला मामला जनवरी मे सामने आया। इससे पहले ही बाकी देशों मे कोरोना पहुच चुका था। जब बाकी देशों मे कोरोना फैल रहा था तब ही अगर बाहार से लोगों का आना जाना बंद कर दिया होता तो इतनी मुसीबत मेरे देश के लोगों को नहीं झेलनी पडती।
सरकार ने अपनी सतर्कता न दिखाते हुए, जब कोरोना का पहला मामला मिलने के बाद भी नमस्ते ट्रम्प का कार्यक्रम 24 और 25 फेब्रुवरी को किया गया, जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 10,000 से ज्यादा लोग शामिल हुए थे। वही दूसरी तरफ तबलिगी जमात का कार्यक्रम दिल्ली मे मार्च महीने मे हुआ, जिसमे 4500 से 9000 लोग शामिल हुए थे।
अगर सरकार शूरवात से ही कठोर कदम उठाती जो बादमे उठाए गए, तो देश का इतना बडा नुकसान न होता। चीन ने शूरवात मे ही कदम उठा कर अपनी अर्थव्यवस्था को बचा लिया।
ग्लोबलाईजेशन(Globalization) का प्रकोप।
वर्ल्ड कमिशन ऑन द सोशल डिमेन्शन ऑफ ग्लोबलाईजेशन(2004) ने कहा है की हमारा प्रथम उदेश्य की ग्लोबलाईजेशन से पूरे दुनिया का फायदा और सबका अच्छा हो। इससे ग्रोथ रेट बढ़ेगा और गरीबी कम होगी और असमानता नहीं बढेगी।
पर इस ग्लोबलाईजेशन के लिए कुछ शर्ते थी, जिसको पूरा करना था जैसे किसी भी निर्बंध के सिवा माल इधर उधर जाने दिया जाए, ऐसा माहौल बनाना जिसमे मुक्त व्यापार हो पाए, जिसमे टेक्नॉलजी मुक्त तरीके से जाए और लेबर को एक दूसरे के देश मे जाने के लिए माहौल और व्यवस्था बनाना।
कोरोना के शूरवात मे जितना भी लोगों का विदेश मे जाना आना हुया वह इसी ग्लोबलाईजेशन के तहत मुक्त संचार था। क्यूकी ग्लोबलाईजेशन के तहत पूरी दुनिया ग्लोबल विलेज बन गयी है। इसलिए लोग एक दूसरे के देश मे चले जाते है।
वस्तुओ, सेवाओ और मनुष्य तक ठीक था पर ऐसी बीमारी को लेकर विदेश का व्यक्ति हमारे देश मे आता है, यह कतई ठीक नहीं। अगर ग्लोबलाईजेशन के तहत लोगों का विदेश जाना आना नहीं रहता तो क्या यह बीमारी भारत मे फैल पाती? बिल्कुल नहीं। आज कोरोना आया है, कल कोई दूसरा वायरस आएगा किसी दूसरे देश से तो क्या इस ग्लोबलाईजेशन नीति का होना ठीक है? ग्लोबलाईजेशन के प्रकोप का तो यह एक नमूना था, आने वाले समय मे इससे भी भयानक हमारी हालत हो सकती है क्यूकी इस ग्लोबलाईजेशन के साथ लिबेरलाईजेशन और प्राइवेटाईजेशन भी है। जो हमे ग़ुलाम बनाए बगैर नहीं छोड़ेंगे।
कब तक वैक्सीन पे निर्भर रहेंगे।
सरकार ने तो रट लगा रखी है वैक्सीन की, जब की रिकवरी रेट बाकी देशों से कही ज्यादा है हमारा। पर इस ग्लोबलाईजेशन के दौर मे अनेकों बीमारिया आएगी तब क्या करोगे? कितनी वैक्सीन लेते रहेंगे। वैक्सीन इस का इलाज नहीं है। आज देश की ऐसी स्थिती है की देश लोगों को कुछ दिन तक बैठ कर पाल भी नहीं सकता। जो देश महसत्ता के सपने दिखाता था वह एक झटके मे धराशाही हो गया। हमारे पास ऐसी अचानक आपदा के लिए कोई प्रबंध भी नहीं है। अगर प्रबंध होता तो लॉकडाउन नहीं लगाना पडता।
सिर्फ बोलने मे नहीं तो करने मे भी होना चाहिए “सबका साथ सबका विकास”।
पढ़े : हर्ड इम्यूनिटी विकसित होना ही कोरोना का इलाज।
सवालों मे घिरी कोरोना वैक्सीन Sputnik V की ट्रायल भारत मे शुरू हो रही है।