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प्याज की कालाबाजारी और जमाखोरी रोकने मे सरकार असफल।

भारत सरकार ने प्याज का निर्यात(Export) को रोकने की वजह से बाकी देशों मे प्याज की कमी होकर प्याज के दाम बढ गये तथा काला बाजारी ने जोर पकड लिया है। भारत के साथ साथ जो बाकी देश प्याज के लिए भारत पर निर्भर है, उन्हे भी महंगाई की मार पड रही है। हर साल ही प्याज के दाम बढने की और मंडी मे कमी की समस्या हो कर जमाखोरी और कालाबाजारी बढ रही है, पर सरकार इस समस्या को सुलझामे नाकाम हो रही है।

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

कृषि उपज मे भारत मे बाकी फल और सब्जियों के साथ मे प्याज का महत्व अधिक है। प्याज को देश स्वयं उपयोग तो करता है पर इससे विदेश मुद्रा भी की कमाई हो जाती है। देश मे प्याज का उत्पादन 23.48 मिलियन टन होता है। फिर भी चाइना, यूएसए और इजिप्त के उत्पादन से भारत मे प्याज की उत्पादकता कम है।

दुनिया का दूसरा देश है भारत जो सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन करता है। भारत ने साल 2018-19 मे 2.2 मिलियन टन का प्याज का विदेश मे निर्यात किया, जिससे USD 497.97 मिलियन की देश को कमाई हुई।

भारी मात्रा मे प्याज का देश मे निर्माण होकर भी देश मे प्याज की कमी हो रही है तथा इसके दाम कई सारे जगह पर 100 रुपये के पार हो गये है।

बारिश के कारण फसल खराब।

कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश मिलकर पूरे देश का 60 फीसदी प्याज का उत्पादन करता है। ज्यादा और अचानक बारिश आने के कारण प्याज की नयी फसल पे परिणाम हुआ है, कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कई जगह पर भारी और अचानक बारिश से प्याज की फसल खराब हो गयी है।

2010 से प्याज का उत्पादन बढ़ा है।

मिले आंकड़ों के अनुसार प्याज की फसल के उत्पादन मे साल 2010-11 से साल 2017-18 तक 53.8 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। 2010-11 मे 15.11 मिलियन टन से 2017-18 मे 23.26 मिलियन टन तक उत्पादन बढ़ा है। यही उत्पादन 2018-19 मे 23.48 मिलियन टन हुआ है।

मध्य प्रदेश मे साल 2009-10 मे 0.95 मिलियन टन प्याज का उत्पादन हुआ था, वही बढ़कर 2018-19 मे 3.71 मिलियन टन हुआ है।

भारतीय प्याज का निर्यात(Export)।

दुनिया मे चाइना के बाद भारत सबसे बड़ा प्याज का उत्पादक देश है। भारत ने 2018-19 मे 2.2 मिलियन टन नया प्याज का निर्यात किया है, जिसमे बांग्लादेश को 26%, मलेशिया को 15%, यूएई को 12%, श्रीलंका को 11%, नेपाल को 6% तथा बाकी को 30% का निर्यात किया है।

बांग्लादेश ने 75 फीसदी प्याज की आयात भारत से किया है।

फिलहाल 2020 मे भारत सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे प्याज की किमते न बढ़े। पर यह सरकार की नीतियों के खिलाफ है। सरकार निर्यात को बढ़ावा दे रही है, जिसकी वजह से व्यापारी तथा किसान प्याज को विदेश मे निर्यात करना चाहता है पर सरकार की रोक के कारण निर्यात नही कर पा राहा है।

इस से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पास किया था ताकि यह दिक्कत न आये पर यह कानून भी कुछ काम नहीं आ राहा है। उल्टा इस का उपयोग करके लोगों ने प्याज निर्यात कर लिया और प्याज का भंडारण भी कर लिया है। जिसके चलते प्याज की कमी हुई और किमते बढ़ी है।

निर्यात रोक ने से बाकी देशों पर असर।

नेपाल प्याज के लिए पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। प्याज के निर्यात पर रोक लगाने की वजह से नेपाल मे प्याज के कीमतों मे काफी उछाल आ गया है। नेपाल मे प्याज की किमत 150 रुपये पर किलो पर पहुच गयी है।

जीन व्यापारीयो के पास प्याज का स्टॉक था वह भी उसे बढ़ी किमत पर बेच रहे है, जिससे काला बाजारी मे बढ़ोतरी हो गयी है।

रोक के बावजूद काठमांडू पोहोच राहा प्याज।

किमते नियंत्रण मे लाने के लिए भारत सरकार ने प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी है। प्याज के निर्यात पर रोक के बावजूद काठमांडू पोहोच राहा है प्याज।

कलीमाती फ्रूटस एण्ड वेजीटेबलस मार्केट डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार पिछले कुछ हफ्तों से 30 से 40 टन प्याज रोजाना भारत से कलिमताई मार्केट मे पहुच राहा है, जो सामान्य आवक से काफी कम है। सामान्य आवक मे रोजाना 120 टन प्याज काठमांडू मे आता है।

व्यापारी पैसा कमाने के लिए रोक के बाद भी नेपाल मे प्याज भेज रहे है। नेपाल अब चाइना के तरफ से भी प्याज बुला राहा है। चाइनीज प्याज की किमत भारत के प्याज के किमत से कम है।

जिस तरहा भारत के व्यापारी ज्यादा पैसों के लालच मे निर्यात पर रोक होने के बावजूद प्याज को देश के बहार भेज रही है तथा सरकार देश का प्याज भंडारण से बहार नहीं निकाल पा रही है। इससे प्याज की कमी तो हो रही है पर किमते भी बढ रही है और प्याज का स्टॉक देश मे होते हुये भी प्याज को आयात करना पड राहा है। इससे क्या सरकार प्याज कि कालाबाजारी रोकने मे नाकाम हो रही है? प्याज का उत्पादन तो बढ गया पर जमाखोरी बंद नहीं हुई। उल्टा नये कानून के साथ जमाखोरी और कालाबाजारी बढ रही है।

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