सरकार ने किसानों के हित के लिए 15 मार्च से प्याज के निर्यात की अनुमति दि थी। जिसमे कहा गया था की किसानों की आय बढेगी। किसानों ने अच्छी किमत मिलने के कारण पास का सभी प्याज बेच दिया, जिसकी वजह से आज किसान के पास प्याज का बीज भी उपलब्ध नहीं है। जब अच्छे प्याज का बीज ही उपलब्ध नही है तो आगे अच्छी फसल निकलेगी कैसे?
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
सितंबर मे संसद मे आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी मिल गयी थी। जिसमे अनाज, दलहन, खाद्य तेल, आलू, प्याज जैसी चीजे आवश्यक श्रेणी से निकाल दी थी। तथा इस बिल के प्रावधान के अनुसार आलू, प्याज के साथ बाकी चीजों को नियंत्रण मुक्त करने का प्रावधान था।
इससे निजी निवेश आकर्षित होगा तथा उत्पाद, उत्पाद सीमा, आवाजाही, वितरण व आपूर्ति की आजादी मिल गयी है। जिसके चलते व्यापारी को आलू और प्याज का भंडारण की कोई सीमा नहीं है। आलू व प्याज का कितना भी भंडारण कर सकता है।
भंडारण सीमा मुक्त करने के बाद फिर लगाई पाबंदी।
आवश्यक वस्तु (संशोधित) अधिनियम 2020 के अमल के बाद प्याज की भंडारण की सीमा हटाई गयी थी। पर अभी दुबारा सरकार ने भंडारण सीमा लगा दी है। नियमों के अनुसार थोक विक्रेता 25 टन और खुदरा विक्रेता दो टन से अधिक प्याज खरीदकर नहीं रख सकता।
एक महीने पहले भंडारण सीमा को मुक्त करने के बाद फिर से भंडारण सीमा पर पाबंदी लगाने की सरकार पर नौबत आ गयी है। सरकार के एक फैसले से पूरा बना बनाया मार्केट खराब हो गया। किसानों ने लालच मे आकर सारी फसल बेच डाली। अब उनके पास दूसरी फसल उगाने के लिए अच्छे बीज नहीं है।
क्यू बढ रहे है प्याज के दाम?
अगस्त महीने से प्याज के दाम लगातार बढ रहे है। क्योंकि देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य खास करके दक्षिणी प्रांतों मे जोरदार बारिश होने से जमा की गई प्याज तथा प्याज की फसल पूरी तरहा बर्बाद हो गयी है। यही प्याज है जो अभी की मार्केट की डिमांड की आपूर्ति करता है।
प्याज की फसल साल मे तीन बार ली जाती है – खरीफ (जून-अक्टूबर) , खरीफ(सप्टेंबर-दिसम्बर), रब्बी(जनवरी -मार्च)।
रब्बी की जो प्याज की फसल होती है, उसमे नमी कम होने के कारण उसका ज्यादा दिन तक भंडारण किया जाता है। यह भंडारण किया हुआ प्याज दूसरी फसल निकलने तक मंडी द्वारा लोगों तक पहुचाया जाता है। ज्यादा बारिश होने के कारण कर्नाटक की नये प्याज की फसल खराब तो हो गयी, पर साथ मे मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों मे भंडारण किया हुआ प्याज खराब हो गया है।
अत्यधिक युरीआ का उपयोग।
कृषि अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार प्याज की शेल्फ लाइफ इस साल काफी कम हो गयी है। प्याज की शेल्फ लाइफ कम होने का मुख्य कारण अत्यधिक युरीआ का उपयोग है।
ज्यादा पैसे मिलने के लालच मे किसानों ने ज्यादा उत्पादन निकालने के लिए अत्यधिक मात्रा मे युरीआ का उपयोग किया है, जिसकी वजह से प्याज की शेल्फ लाइफ कम हो गयी है।
28 लाख टन का भंडारण महाराष्ट्र मे।
महाराष्ट्र का अच्छा प्याज जिसको धूपकाले मे ही 28 लाख टन का भंडारण करके रखा था। वह अब 10 से 11 लाख टन ही बचा हुआ है।
पूरे देश को साल मे करीब 160 लाख टन प्याज लगता है, जिसमे अकेले महाराष्ट्र को प्रति दिन 4000- 6000 टन लगता है।
प्याज और प्याज के बीज के एक्सपोर्ट पर रोक।
बढ़ते हुये प्याज के दाम की वजह से सरकार ने प्याज और प्याज के बीज के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है। प्याज के बीज को प्रतिबंध श्रेणी से निषिद्ध श्रेणी मे डाला गया है।
प्रतिबंधक श्रेणी मे सरकार की अनुमति के साथ प्याज का एक्सपोर्ट कर सकते है, पर निषिद्ध श्रेणी मे पूरी तरह से रोक है। सरकार ने एक्सपोर्ट पर रोक लगाने के साथ साथ आयात(Import) के नियमों को ढीला कर दिया है।
आयात(Import) पर ढिलाई।
कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर प्याज का आयात कर रही है, जिसके लिए आयात के नियमों को ढीला छोड़ दिया गया है। बढ़ती हुई कीमतों से निपटने के लिए सरकार ने 1 लाख टन प्याज का आयात करने का फैसला लिया है। यह प्याज अफगानिस्तान से लिया जायेगा। इसके लिए योजना के साथ हर दिन 4000 टन प्याज भारत मे आयेगा।
यह आयात किया हुआ प्याज कुछ दिन तक ही कीमतों पर काबू रख पाएगा। जैसे ही आयातित प्याज कम हो जायेगा, किमते ओर बढ़ना शुरू हो जाएगी।
सरकार को खरीदना चाहिए था देश का प्याज।
अब कीमतों को नियंत्रण मे लाने के लिए सरकार विदेश से प्याज मंगा रही है। जिससे न देश को फायदा हो राहा है और न देश के किसान को। जो किसानों का प्याज एक्सपोर्ट करने के बजाय सरकार ही खरीद लेती तो यह नौबत नहीं आती थी। ज्यादा मुनाफे के लालच मे लोगों ने प्याज के साथ प्याज का बीज भी बेच दिया, जिसकी वजह से दूसरी फसल लेने के लिए किसानों के पास बीज नहीं है। मार्केट मे प्याज के बीज की कमतरता निर्माण हुई है।
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