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हाथरस कांड: डिवाइड एण्ड रूल मे बट गया भारत।

हाथरस गैंगरेप मे आरोपियों के समर्थन मे एकजुट हुआ सवर्ण समाज, वही दूसरी तरफ पीडिता के समर्थन मे दलित और पिछडा रस्ते पर निकल राहा है। जैसे अंग्रेजों ने बाटा था देश वैसे अभी दो हिस्सों मे बट गया है।

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

अंग्रेजों की हमेशा से ही नीति रही थी, डिवाइड एण्ड रूल( तोडो और राज करो)। इस नीति के तहत अंग्रेजों ने पूरे भारत को बाट दिया था और भारत पर राज किया था। देश को आजाद करते करते भी देश के टुकडे करके चले गये थे। जो आज तक एक दूसरे से लढ़ रहे है। जिनको जोडने की आज तक कोशिश नहीं हुई। नफरत का जहर इतना भरा था की दोनों के बीच क्रिकेट मैच भी हो तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था और जीत गये तो छाती चौड़ि हो जाती थी।

भारत को बाटा जा राहा है।

दिल्ली की निर्भया के केस मे पूरा भारत एक हो गया था, हरकोई चाहता था की आरोपियों को सजा मिले। पूरा देश समर्थन मे जुट गया था। पर हाथरस केस मे देश दो भागों मे बट गया। एक पीडिता के समर्थन मे तो दूसरा आरोपियों के समर्थन मे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दोनों की इस केस पर चुप्पी क्यू थी? मन की बात करने वाले प्रधानमंत्री, सोशल मीडिया पे किसी भी छोटी मोठी घटनाओ पर ट्वीट करने वाले क्यू खामोश दिखाई दिए थे। जब समाज दो भागों मे बट राहा था तो क्यू नहीं रोका गया। क्यू बटने दे रहे है देश को?

क्या मीडिया का इस्तेमाल करके षड्यंत्र हुआ?

जब मीडिया पीछे लगा हुआ है, यह जानते हुये भी, प्रशासन मनमानी कर राहा है। पुलिस मीडिया और नेताओ से भीड़ रहे है। सबूतों को लोगों के सामने मिटाया गया। ताकि मीडिया यह बात ओर ज्यादा उछाले इसलिए।

हाल ही मे संसद मे पास हुआ कृषि बिल, लेबर बिल, जिसके विरुद्ध देश भर मे हंगामे हो रहे थे, आंदोलन चल रहे थे। उसे मीडिया कवर कर राहा था। वही कोरोना वैक्सीन को लेकर भी 2 ऑक्टोबर को आदोंलन था। फिर अचानक एक सीधे साधे हाथरस केस को पेचीदा बना दिया। हाथरस का केस को पेचीदा बनाने मे सरकार और प्रशासन का पूरा सहयोग था। यह तो दिखाई देता है। पूरा देश अब इसके पीछे लगा है और प्रशासन एवं सरकार अपने बाकी के काम मे लगे है।

सरकार की सीबीआई जाँच।

पहले तो केस के लिए एसआईटी टीम हाथरस पहुची। पीडिता के परिवार के बयान दर्ज किये और अपनी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज देंगी। वही दूसरी तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जाँच के आदेश दिए है।

जब सरकार और प्रशासन ही इसमे मिला हुआ है तो क्या सीबीआई सरकार और प्रशासन के खिलाफ रिपोर्ट बनाएगी? क्या इसकी निष्पक्ष जाँच होगी या पीडिता के परिवार को ही इसमे दोषी ठहराया जायेगा। क्युकी काफी सारे केसेस मे जो जुल्म से पीड़ित है उसे ही दोषी बनाया गया। तो इसमे हम भारतवासी क्या उम्मीद लगाये।

क्यू हिन्दूराष्ट्र बनाने की बात कर रहे है?

जब देश मे एक हिन्दू दूसरे हिन्दू से सुरक्षित नहीं है। जहा हिन्दू समाज को ही बाटा जाता है, सवर्ण और पिछड़ो मे वहा हिन्दू राष्ट्र करने की बात की जा रही है। क्या फायदा होगा इससे? अगर हिन्दूराष्ट्र बन भी जाता है फिर भी जो सामाजिक असमानता है वह तो रहेगी ही। सवर्ण तो सवर्ण ही रहेंगे और दलित एवं पिछड़े भी दलित एवं पिछड़े ही रहेंगे।

इससे बेहतर है समाज की बुराईयो को मिटाना। ऐसा कानून और समाज बनाना जिसमे अपनी बहन और बेटियाँ सुरक्षित रहे। देश को बाटने की बजाय जोड़े। जहा ठाकुर और दलित दोनों मिलकर खुशी से रह सके।

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