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हाथरस गैंगरेप केस: इंसानियत की मौत, प्रशासन की मनमानी जानिये पूरा सच।

उत्तर प्रदेश के हाथरस के बुलगड़ी गाँव मे कथित गैंगरेप की पीडिता की दिल्ली के अस्पताल मे मौत हो गयी। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे मौत का कारण गले की हड्डी टूटना बताया है, रेप का जिक्र नहीं किया गया। जब की वह घटना स्थल पर निवस्त्र बेहोश अवस्था मे पाई गयी थी। आरोपी उच्च जाती के है।

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

14 सितंबर को चंदपा क्षेत्र के बुलगड़ी मे परिवार के साथ घास लेने के लिए गयी युवती के साथ चार दबंग युवकों ने गैंगरेप किया। पिटाई करके गला दबाने की वजह से पीडिता की रीढ़ की हड्डी टूट गयी और शरीर पर अन्य घाव थे, जिसकी वजह से पीडिता की हालत नाजुक बनी हुई थी। युवती खेतों मे निर्वस्त्र अवस्था मे मिली थी। उसके शरीर से खून बह राहा था। जिल्हा अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। वहा के डॉक्टर का कहना था की पीडिता के शरीर मे कई फ्रैक्चर है और उसकी जीभ भी कटी हुई है।

दबंग युवक उची जाती के है। इस गाव मे करीब 600 परिवार रहते है, जिसमे मुख्यता ठाकुर जाती के लोग है, साथ मे ब्राह्मण और दलित समाज के भी परिवार है।

पीडिता के भाई के अनुसार माँ और बहन कुछ घास काटने के लिए खेत मे गये थे। जहा घास काट रहे थे उसके दोनों ओर बाजरे के खेत थे। काटते हुये दोनों माँ बेटी एक दूसरे से दूर हो गये। चार पाँच लोग पीछे से आये, उन्होंने बहन के दुपट्टे को उसके गले मे डाल दिया और बाजरे के खेतों के भीतर खींच लिया। जब माँ को मिली तब मेरी बहन बेहोश पाई गयी, उसके साथ बलात्कार हुआ था। पुलिस ने शुरू मे हमारी मदद नहीं की, चार पाँच दिनों के बाद कारवाई की।

पुलिस की लापरवाही।

इस मामले मे पुलिस ने लापरवाही वाला रवैया अपनाते हुये रैप की धाराओ मे केस न दर्ज करके छेड़खानी के मामले मे एक युवक को हिरासत मे लिया। उसके खिलाफ धारा 307(हत्या की कोशिश) का मामला दर्ज किया। घटना के कई दिन बाद पीडिता होश मे आई तब बयान लेकर गैंगरैप का मामला दर्ज किया।

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट।

पीडिता के दम तोडने से पहले दिए बयान के आधार पर पुलिस ने दर्ज एफआईआर मे आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप की धराये लगाई थी। पर अब पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार मौत की वजह गले की हड्डी टूटना बताई गयी है। इसमे रेप का जिक्र नहीं है।

यूपी पुलिस ने दावा किया है की रिपोर्ट से साबित हो गया है की युवती के साथ रैप या गैंगरैप नहीं हुआ है।

रिपोर्ट मे क्यू बलात्कार का जिक्र नहीं?

जब 14 सितंबर को गैंगरेप हुआ था तो युवती खेतों मे नग्न अवस्था मे मिली थी। उसके शरीर से खून बह राहा था। शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। मौत से पहले युवती ने बयान मे कहा था की उसके साथ रैप हुआ था। इसके बाद उसके गले को दुपट्टे से दबाया गया था।

क्या वह युवती जो जिंदगी और मौत से लढ़ रही थी उसने बलात्कार की झूठी बात बोली थी? या सरकार और प्रशासन आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है?

मिली जानकारी के अनुसार रिपोर्ट मे लिखा था, “मरीज का शुरुवाती इलाज कमजोर तरीके से किया गया और उसके अटेन्डन्ट को बताया गया की मरीज की हालत स्थिर है। बाद मे पर्याप्त इलाज मिलने के बावजूद मरीज की तबीयत बगड़ती गयी और मौत हो गयी”।

पुलिस ने शव अंधेरे मे क्यू जलाया?

मौत के बाद युवती का शव दिल्ली से लेके पुलिस रात 12 से 1 के बीच हाथरस पहुची। शव रिश्तेदारों को नहीं सौपा गया और नहीं दिखाया गया। रिश्तेदारों ने एम्बुलेंस के सामने खड़े होकर आक्रोश करते हुये रोका और बिटिया को घर ले जाने की जिद्द की। पर प्रशासन रात के अंधेरे मे ही शव को जलाने के लिए बेताब था। रात कोही शव जलाने के लिए घरवालों पर जबदस्ती की गयी। किसी की न सुनते हुये प्रशासन शव को जलाने के लिए रात को ही लेके गये।

प्रशासन की शव जलाने की जिद्द क्यू?

प्रशासन ने लोगों को रात को ही शव जलाने के लिए समझाया पर परिजनों का कहना था की हम सुबह संस्कार हिन्दू परंपरा के अनुसार करेंगे। लेकिन प्रशासन किसी की सुनने के लिए तैयार नहीं था। पीडिता की माँ एम्बुलेंस के सामने बैठकर रो रही थी और बिटिया को घर ले जाने की बिनती कर रही थी। पर बेरहम पुलिस और प्रशासन ने एक न सुनते हुये बिना रीति-रिवाज के रात के अंधेरे मे युवती के शव को जला दिया।

पुलिस वालों ने रात के 2 से 3 के बीच मे रिश्तेदारों के भारी विरोध के साथ जबरदस्ती से युवती के शव को खेतों मे लेके गये, लकड़िया जमा की और चिता पर रखी। चीता के पास किसी को जाने नहीं दिया। पुलिस ने मानव शृंखला बनाकर सबको चीता से दूर रखा और चीता को आग लगा दी।

चीता को आग किसने लगाई?

सभी रिश्तेदार घर मे ही बंद थे। मरने के बाद बेटी का चेहरा तक नहीं देख पाये। हिन्दू मान्यता के अनुसार पिता को चीता को आग लगाना था। पर परिवारजनों मे से कोई भी चीता स्थल पर मौजूद नहीं था तो फिर युवती के शव को आग किसने लगाई? यह सवाल बाकी ही है।

एम्बुलेंस मे शव किसका था?

रिश्तेदारों ने तो आँखरी समय मे युवती के शव को देखा ही नहीं। उसकी माँ भी बेटी को पलभर देखने के लिए चिल्लाती रही पर पुलिस वालों ने शव नहीं दिखाया। जब एम्बुलेंस मे पीड़ित युवती का शव किसी ने देखा ही नहीं तो एम्बुलेंस मे शव किस का था? उस युवती का या किसी और का?

क्यू पुलिस वालों ने शव जलाने की इतनी जिद्द की जब की घरवाले सुबह संस्कार करना चाहते थे?

क्यू पुलिस सुबह तक नहीं रुक पाई और रात को ही शव जला दिया?

उच्च जाती और नीची जाती की लढाई सदियों से चली आ रही है। जिसमे जादातर नीचे जातीवालों को कुचला जाता है। अगर लड़की रही तो बलात्कार किया जाता है, लड़का राहा तो मारा-पिता जाता है। इस आधुनिक युग मे भी इस हिंदुस्तान मे समानता नहीं है। लोगों की जाती देखकर औकात गिनाई जाती है। कैसी है यह विटम्बना, जिसे सरकार हिन्दूराष्ट बनाने जा रही है। आज हिन्दू ही हिन्दू का दुश्मन बना हुआ है, हिन्दू ही हिन्दू से खतरे मे है। दुश्मनी के लिए किसी ओर धर्म की जरूरत नहीं।

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