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आर्थिक असमानता की ओर बढ़ता भारत, जिसे मिटाना हो सकता है मुश्किल।

कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते जहा देश और देशवाशी गरीबी और भुखमरी की तरफ बढ रहा है, वही दूसरी तरफ भारत के चंद लोग अमीरी की तरफ बढ रहे है। देश मे धीरे धीरे असमानता की खाई बढती जा रही है, जिसे शायद ही भर पाएंगे। आनेवाले समय मे हर धर्म और हर वर्ग इससे पीडित हो सकता है। आखिर महासत्ता बनने के सपने देखने वाले देश मे ऐसा क्यू हो रहा है?

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

भारत एक ऐसा देश है, जहा हर धर्म के लोग एक साथ रहते है। धर्म और पंथ को लेकर असमानता है पर हमारा देश विविधता मे भी एकता वाला है, जहा सब लोग मिलजुलकर रहते है। पर इस आधुनिक दौर मे एक असमानता है जो अपना सर उठा रही है, जिसकी वजह से एक इंसान दूसरे इंसान से अलग हो रहा है। जहा न रिश्ता काम करता है न भाईचारा, वह है आर्थिक असमानता।

संविधान और कानून के सहारे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता लाने का प्रयत्न तो कर सकते है पर आर्थिक समानता कैसे लाएंगे। यह बडा प्रश्न है, जिसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है।

गरीबी और भुखमरी की तरफ बढ़ता भारत।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश(IMF)-वर्ल्ड इकनॉमिक आउट्लुक(WEO) के अनुसार भारत दक्षिण एशिया मे तीसरा सबसे गरीब देश बनने की ओर अग्रेसर है तो ग्लोबल हंगर इन्डेक्स 2020(Global Hunger Index 2020) के अनुसार, भारत भुखमरी की ओर बढ़ रहा है। बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका जैसे पडोसी देश हमसे आगे जा रहे है।

भारत जो विश्वगुरु और महसत्ता बनने की बात करता है या जो बाते, सपने हमे बताये और दिखाए जा रहे है, क्या वास्तव मे हकिकत है? या हम सपनों के मायाजाल मे इतने फंसे हुए है के अधोगति को भी विकास कह रहे है।

कुछ लोग कहेंगे की इस कठिन दौर से भारत देश बाउन्स बैक करेगा। हो सकता है बाउन्स बैक करेगा पर यह कोई नहीं जानता की कब करेगा। कब तक झूठी आशा और सपने लेकर जीते रहेंगे की अच्छे दिन आएंगे। आज जो देश मे हो रहा है, जो देश की स्थिति हो चुकी है उसका क्या होगा? कितने लोगों के रोजगार चले गए, कितने लोगों को भूखे मरने की नौबत आ रही है, क्या यह स्थिति भारत की होनी चाहिए थी? जो देश महासत्ता बनने की बात करता है उसको यह स्थिति कतई शोभा नहीं देती।

असमानता बढ रही है मेरे भारत देश मे।

पहले से ही जातिवाद और धर्मवाद तो है ही पर अब लोगों के आर्थिक स्थिति मे बहुत बडी असमानता पैदा हो रही है, जिसको भरना लगबग नामुमकिन हो जायेगा अगर अभी ही सही कदम नहीं उठाए गए तो।

अमीर ओर अमीर होते जा रहे हाई और गरीब ओर गरीब होता जा रहा है, दोनों ही एक ही देश की संताने पर उनमे एक खाई की दूरी बनती जा रही है। जहा कुछ लोग बडी आसानी से अमीर बन रहे है वही एक गरीब रोजगार के लिए, अच्छी शिक्षा और स्वास्थ के लिए और दो वक्त की रोटी के लिए झगड(स्ट्रगल) रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और महिलाओ पर पड रहा है। भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषित है।

कैसे बढ रही है असमानता।

ऑक्सफाम के अनुसार 10 फीसदी भारतीय लोग 77 फीसदी राष्ट्रीय संपत्ति को जमा किये हुये है। 73 प्रतिशत दौलत जो 2017 मे निर्माण हुई वह देश के 1 प्रतिशत लोगों के पास गई, वही 67 मिलियन भारतीय लोग जो गरीबी के साथ जी रहे है, उनकी संपत्ति सिर्फ 1 फीसदी बढी।

119 बिलियनायर(Billionaire) भारत देश मे है। सन 2000 मे 9 बिलियनायर से सन 2017 मे 101 बिलियनायर बढे। 2018 और 2022 के बीच मे ऐसा आकलन किया है की 70 नए बिलियनायर(Billionaire) हर रोज बनेंगे। वही देश की आधे से ज्यादा आबादी गरीबी का जीवन जी रही है, न उनके पास रोजगार है और न पैसा। करोड़ों लोग हर रोज गरीबी की रेखा के नीचे जा रहे है, वहा इतनी बडी असमानता बढ रही है जिसे भरना मुश्किल हो जायेगा।

हेल्थकेयर सुविधा के अभाव मे 63 मिलियन लोग गरीबी की तरफ बढ रहे है। क्यूकी सारा कमाया हुआ पैसा अंत मे दवाखाने मे देना पडता है।

एक साधारण गाव के मजदूर को 941 साल लग जाएंगे अगर वह भारत के कपड़ा कंपनी के टॉप एक्सीकुटिव जो एक साल मे कमाते है उतना कमाना चाहे तो।  बिलियनायर(Billionaire) की सम्पूर्ण संपत्ति यूनियन बजेट साल 2018-19 के बजेट से ज्यादा थी।

सरकार की नीतिया सर्वसमावेशक होनी चाहिए। भारत मे जो पैसा निर्माण हो रहा है वह हर भारतीय तक कैसे पहुचे इसके बारे मे सोचना चाहिए। देश के लोग अमीर हो रहे है अच्छी बात है पर साथ मे गरीबी भी बढ रही है यह काफी गंभीर समस्या है।

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