केंद्र सरकार के नए कानून से अब जम्मू-कश्मीर मे जमीन खरीदना हो गया आसान। देश का कोई भी नागरिक अब कश्मीर मे जमीन खरीद सकता है। सभी सरकारी कामों को प्राइवेट के हाथों मे देने के बाद अब कश्मीर को भी बिकने के लिए मार्केट मे खड़ा कर दिया गया है। सरकार द्वारा इन्डस्ट्रीअल ग्रोथ और नये जमीन कानून के साथ क्या होगा जम्मू-कश्मीर का?
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर मे भूमी कानून मे संशोधन किया। इस संशोधन कानून को गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये आदेश को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (केन्द्रीय कानूनों का अनुकूलन) तीसरा आदेश,2020 कहा जायेगा।
नए कानून के मुताबिक अब देश का कोई भी नागरिक घर बनाने के लिए या कारोबार करने के लिए जम्मू-कश्मीर मे जमीन खरीद सकता है।
विशेष दर्जा खतम।
5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35-ए को खतम करने के साथ कश्मीर का विशेष दर्जा खतम हो गया और इस प्रावधान के साथ यह पूरी संभावना बनी थी की जल्द ही कश्मीर मे जमीन की खरीदी-बिक्री की अनुमति दी जाएगी।
अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर की अपनी अलग संवैधानिक व्यवस्था थी। इस के तहत जिनके पास राज्य का स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र था और जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक थे, उनको ही जमीन खरीदने की अनुमति थी। देश का कोई अन्य राज्य का नागरिक जम्मू-कश्मीर मे जमीन नहीं खरीद सकता था।
नये कानून जम्मू कश्मीर के।
नये कानून के मुताबिक देश का कोई भी नागरिक अब मकान, दुकान और कारोबार के लिए जम्मू-कश्मीर मे जमीन खरीद सकता है। इसके लिए जम्मू-कश्मीर का मूल रहिवासी प्रमाणपत्र होने की आवश्यकता नहीं है।
खेती की जमीन को लेकर अभीभी कुछ रोख है, जिसके तहत खेती की जमीन बहार का व्यक्ति नहीं ले सकता
खेती वाली भूमी का ट्रांसफर।
खेती वाली जमीन किसी गैर-खेतीहर व्यक्ति को ट्रांसफर की जा सकती है तथा खेत की जमीन गैर कृषि कार्यों के लिए दी जा सकती है, जिसके लिए शर्त मे एजुकेशनल इंस्टिट्यूट बनाना, हेल्थ केयर सेंटर या स्वास्थ से जुड़े कामों के लिए खेती की जमीन हस्तांतरित की जा सकती है।
इस हस्तांतरण के लिए सरकार की अनुमति होना आवश्यक है। अगर किसान ने गैर-कृषक को जमीन बेचने, उपहार देने या गिरवी रखने की सरकारी द्वारा या अधिकृत सरकारी व्यक्ति द्वारा स्वीकृति ले ली है तो यह अधिसूचना उसे ऐसा करने से नहीं रोकेगी।
अनाज भंडारण के लिए कृषि भूमी का उपयोग किया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के साथ धोखा।
केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख राजनैतिक दलों ने विरोध करते हुये इस कानून को जम्मू-कश्मीर के साथ धोखा करार दिया है। जम्मू-कश्मीर के प्रदेशों को बदलकर यहा की जमीन बेचने के लिए रखी है, ऐसे आरोप हो रहे है। पुराने 26 कानूनों मे कुछ मे बदलाव तो कुछ को रद्द किया गया है।
एलजी चाहते है इंडस्ट्री लगे।
प्रदेश के एलजी मनोज सिन्हा चाहते है की बहार की इंडस्ट्री जम्मू-कश्मीर मे लगे। इसलिये इन्डस्ट्रीअल लँड मे निवेश हो। सरकार यहा के इन्डस्ट्रीअल एरिया मे इंडस्ट्रीज़ को लाना चाहती है।
इस इन्डस्ट्रीअल विकास के साथ कॉर्पोरेटस को कश्मीर मे भूमी का कब्जा लेना आसान हो गया है।
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