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लोकशाही और सोशल मीडिया

फेसबुक इंडिया की लगाम किसके हाथ मे?

लोकशाही से देश चलाने के लिए किसी भी सोशल मीडिया की लगाम लोगों के हाथ मे होनी चाहिए, जो समाज के भलाई के लिए उसका उपयोग कर सके.

आज का युग सूचना और तंत्रज्ञान का युग है. हर कोई अपनी बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से व्यक्त कर सकता है. किसी भी झूठ को सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पे बार बार दोहराने से सच मे तब्दील किया जा सकता है. ये है आज की सोशल मीडिया की शक्ति.

जैसे आग होती है, जो खाना बनाने या खाने को जलाने के काम आ सकती है. अब यह निर्भर आप पे है की आप उसका कैसे उपयोग करते है, खाना बनाना चाहते है या खाना जलाना. वैसे ही आज सोशल मीडिया की स्थिति है, आप इसका सदउपयोग या दूरउपयोग करना सर्वस्वी आप पे है या इसके द्वारा आपको जो कुछ दिखाना चाहते है उनपे है.

भारत की स्थिति देखे तो 2014 के चुनाव के लिए सोशल मीडिया का भरपूर उपयोग करना शुरू हो गया. पर उस व्यक्त कुछ चुनिंदा लोगों के पास इसकी एक्स्पर्टीज़ थी. जिनके पास एक्स्पर्टीज़ थी उन्होंने सोशल मीडिया उपयोग करके अपनी सत्ता कायम कर दी. जिसमे दूसरे गलत है और हम ही सही है, हम ही देश के सच्चे देशभक्त है, बाकी सब देशद्रोही है, ऐसा दिखाया गया. उस वक्त सबसे ज्यादा उपयोग सोशल मीडिया मे फेसबुक का हुआ क्युकी यह चलाने मे आसान था और इसमे लिखने की कोई लिमिट नहीं थी. आसान होने की वजह से हर कोई इससे जुड़ता गया, सारे पुराने दोस्त , रिश्तेदार एक छत के नीचे आ गये. यही से चालू हो गया फेसबुक का तांडव.

फेसबुक हर किसीपे नजर रखने लगा क्युकी उसको अपने मार्केटिंग के लिए लोगों का इन्टरेस्ट जानना आवश्यक था, इसिके दम पर वह फेसबुक मार्केटिंग कैम्पैन चला सकता था. जब यह मनसूबा पूरा नहीं हुआ तो उसने कस्टमर का इन्टेन्ट (इन्टरेस्ट )जानने के लिए व्हाट्सअप्प को खरीद लिया, जो की आज आप सब के हाथ मे है. हर चीज आज आप व्हाट्सअप्प पे शेयर करते है और आप की शेयर की हुई चीज उनके बोट्स द्वारा उनके डेटाबेस मे रखी ज्याती है, जिससे फेसबुक मार्केटिंग अच्छी तरीके से काम करे, यही वह जगह यह जहा आपकी प्राइवसी से खिलवाड़ हो सकता है और कंपनी अपने मतलब के लिए आपका डाटा(आपका इंटेरेस्ट) का उपयोग करती है. क्युकी व्हाट्सअप्प से तो फेसबुक को कोई पैसा नहीं मिलता है और मार्क जुकेरबर्ग नुकसान का सौदा नहीं करता है.

कई विदेशी कंपनीओ ने फेसबुक पर विज्ञापन करने से मना कर दिया है, जैसे उसका बहिष्कार कर दिया हो. पर हमारे भारत की महान कंपनी (जिओ) फेसबुक से हाथ मिला रही है, धंधों बढ़ाने के लिए, क्या धंदा देश से ज्यादा जरूरी है?

वाल स्ट्रीट जर्नल ने भी भारत की सत्ताधिक्ष पार्टी (भाजपा) पर कई सारे आरोप लगा दिए की फेसबुक सत्ताधारी पक्ष के अनुकूल काम कर राहा है. अगर ऐसा है तो भारत के लोकशाही को काफी खतरा है, जिसके लिए हमे फेसबुक को भारत से चीनी कंपनी की तरहा भगा देना चाहिए और अपने देश को बचना चाहिए.

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