बिल गेट्स फाउंडेशन ने फंड की हुई, ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन को साइड इफेक्ट होने की वजह से रोखा गया था, पर इसकी फेज-3 ट्रायल पुणे के ससुन जनरल अस्पताल मे मे शुरू हो गयी है। इसमे मनुष्यों पर फेज-3 ट्रायल की जाएगी।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
ऑक्सफोर्ड कोरोना वैक्सीन की फेज-3 ट्रायल को रोक दिया था। एक व्यक्ति को ट्रायल के दौरान गंभीर दुष्परिणाम होने की वजह से क्लीनिकल ट्रायल को रोका गया था। गंभीर दुष्परिणाम याने कुछ हद तक जान लेवा भी हो सकते है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका मिलकर इस वैक्सीन को बना रहे है।
भारत मे इस वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। भारतीय औषधि महानियंत्रक (DGCI) ने ऑक्सफोर्ड इंस्टिट्यूट को वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की अनुमति दे दी है।
वैक्सीन की फेज-3 ट्रायल सीरम इंस्टिट्यूट के द्वारा पुणे के ससुन जनरल अस्पताल मे शुरू हो गयी है, जिसमे 150-200 लोगों पर वैक्सीन का प्रयोग किया जायेगा। इसकी फेज-2 ट्रायल भारती विद्यापीठ मेडिकल कॉलेज और केईम अस्पताल मे हो चुकी है।
वैक्सीन के साइड-इफेक्ट।
फेज-3 ट्रायल मे हजारों व्यक्तिओ पर वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल किया जाता है। इसे मास वैक्सनैशन(Mass Vaccination) कहते है। अभी तक इस के क्या साइड इफेक्ट होंगे इसका कुछ पता नहीं है, इसलिए जो व्यक्ति पर यह वैक्सीन प्रयोग की जाएगी उसपर इसके साइड-इफेक्ट हो सकते है।
कभी-कभी वैक्सीन की वजह से शरीर मे जो अँटिबॉडीज तयार होती है, उससे और गंभीर परिणाम हो सकते है, जिसे वैक्सीन एनहैन्स्ड डीसीज(Vaccine-enhanced Disease) कहते है। दूसरे केस मे वैक्सीन के द्वारा शरीर मे तयार हुई अँटिबॉडी ही अपने शरीर पर अटैक करने लगती है, जिसे ऑटोइम्यून डिसॉर्डर (Autoimmune Disorder) कहते है।
यह वैक्सीन सुरक्षित है, ऐसा प्रचार किया जा राहा है। पर फिलहाल हम इसे सुरक्षित नहीं कह सकते जब तक यह फेज-3 ट्रायल मे पूरी तरह से कामयाब नहीं हो जाती।
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