रामदेव बाबा के पतंजलि द्वारा कोरोना के इलाज के लिए स्वासरी कोरोनील किट का निर्माण किया था। कोरोना वायरस के इलाज के लिए कोरोनील किट को भारत और विदेश काफी मांग हुई थी। आयुष मंत्रालय ने कोरोनील किट को कोरोना के इलाज के लिए प्रमाणित नहीं किया था। फिर भी सिर्फ 4 महीने मे कंपनी ने 85 लाख किट बेचकर 241करोड़ रुपये कमाए।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
जहा पूरी दुनिया मे कोरोना की इलाज के लिए खोज शुरू है। वही योगगुरु रामदेव बाबा ने कोरोना काल मे कोरोना की कोरोनील किट बेच डाली। इस कोरोना काल के चार महीने मे 85 लाख से ज्यादा कोरोनील बेचे गये। कंपनी से मिले आंकड़ों के अनुसार चार महीने मे पतंजलि ने कोरोनील किट बेच कर 241 करोड़ की कमाई की है।
जून महीने मे की थी कोरोनील किट की घोषणा।
आचार्य बालकृष्ण और रामदेव बाबा ने इस औषध की घोषणा जून मे की थी। कोरोना के इलाज के लिए आयुर्वेदिक औषधि ऐसा कोरोनील का प्रचार कंपनी द्वारा किया गया था। यह औषध कोरोना के इलाज मे कितनी प्रभावी है, इसकी कोई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं है।
स्वासरी वटी, कोरोनील और अणु तेल से मिलकर बनी हुई है कोरोनील किट । कंपनी ने इस किट की किमत 545 रुपये रखी है।
कोरोनील कीट को लेकर विवाद।
कंपनी के द्वारा प्रचार मे इस कोरोनील किट को कोरोना के इलाज के प्रभावी बताया गया था, जिसकी वजह से यह औषधि विवाद मे फंस गयी थी।
कोरोनील की निर्माण से पहले कंपनी को सर्दी, खांसी, बुखार और रोगप्रतिकार शक्ति बढाने की औषध बनाने के लिए सरकार की तरफ से लाइसेन्स मिला था।
साथ मे पतंजलि ने कोरोनील इस नाम का उपयोग किया इसलिये मद्रास उच्च न्यायालय ने कंपनी को 10 लाख का जुर्माना किया था।
आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोनील पर रोक।
योगगुरु रामदेव बाबा के पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोना सात दिन मे ठीक करने वाली पहली आयुर्वेदिक दवाई खोजने का दावा किया था। इस दावे के बाद आयुष मंत्रालय ने जारी किये आदेश द्वारा पतंजलि को इस औषध का विज्ञापन कर ने से मनाई कर दी थी। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से इस औषध का विवरण मांगा था। महाराष्ट्र और राजस्थान मे इस औषध पर रोक लगा दी थी।
वही औषध के घोषणा कार्यक्रम मे रामदेव बाबा ने औषध पतंजलि के सभी शाखाओ मे मिलेगा, ऐसा कहा था। ऑनलाइन औषध मंगाने की भी कंपनी द्वारा सुविधा उपलब्ध कराई गयी थी।
इम्यूनिटी बूस्टर है कोरोनील।
कोरोना के इलाज के कोरोनील पर पतंजलि द्वारा किया गया दावा सवालों से घिर गया तो इस औषध को इम्यूनिटी बूस्ट कर ने की औषध कर के बेचा जाने लगा।
अभी कोरोनील यह कोरोना वायरस की दवा न होकर एक इम्यूनिटी बूस्टर है। इसे कोरोना के इलाज से ज्यादा इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए उपयोग हो राहा है।
विवाद का फायदा हुआ कंपनी को।
जहा विवाद से कंपनी की सेल गिर जाती है वही विवाद की वजह से पतंजलि के कोरोनील किट की सेल बढ गयी। विवाद मे घिरी कोरोनील किट कंपनी के लिए फायदेमंद हुई।
इसका सेल बढ़ने की एक और वजह है की लोगों का आयुर्वेदिक उत्पाद पर विश्वास। आयुर्वेदिक औषधियों पर विश्वास की वजह से कोरोनील का सेल सिर्फ 4 महीने कंपनी ने 23.54 लाख किट तथा खुदरा 62 लाख के अलग अलग यूनिट मे हो गया।
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