हेल्थ सेक्टर भारत का बड़ा और कमाई वाला सेक्टर है। भारत सरकार हेल्थ सिस्टम का निजीकरण कर रहा है, जिसमे लोगों को सस्ता इलाज की जगह महंगा इलाज मिलेगा। बढ़ती लोकसंख्या के साथ अब कॉर्पोरेट की नजर हेल्थ सिस्टम पे है, जिसे वह अपने फायदे के लिए उपयोग मे लाना चाहते है।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
आजादी के इतने सालों बाद , देश की लोकसंख्या तो बढ़ी पर उसके साथमे देश की हेल्थकेयर सिस्टम नहीं बढ़ी। चाहे इसे सत्ताधारी पक्षों की कम इच्छाशक्ति काहीये या वह हेल्थ सेक्टर की तरफ जानबुझकर नजरअंदाज करते आये हो, पर इस वजह से नुकसान तो देश के लोगों का हुवा।
हेल्थकेयर(Healthcare) का कम बजट।
भारत का हेल्थ सिस्टम का बजट डिफेन्स के बजट से कम है। सरकार को लोगों की सुरक्षा के लिए हथियार तो चाहिए पर अच्छा स्वास्थ्य नहीं चाहिए। आज की तारीख मे रोटी, कपड़ा और मकान के साथ मे अच्छा स्वास्थ्य होना यह हमारी प्राथमिक गरज हो गयी है।
लोगों का कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य की देखभाल मे चला जाता है। एक व्यक्ति जो सारी उम्र कमाई करता है, पाई-पाई जोड़ता है की यह पैसा बुढापे का सहारा होगा या बच्चों के काम आयेगा पर अंत जमा किया सारा पैसा अस्पताल के हवाले हो जाता है। जिंदगी भर की कमाई दवाई के खर्चे मे निकल जाती है। बड़े-बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल तो यही चाहते है की लोग कमाए और अंत मे हमे लाके दे दे। जो पैसा अमन और शांति के उपयोग मे आना चाहिए वह पैसा ऐसे ही लूट जाता है।
अगर सरकार अच्छी सुविधा देती तो अस्पताल का खर्चा बच सकता है। सरकार जो पैसा हेल्थकेयर पे खर्चा करता है वह जीडीपी का केवल 1 फीसदी होता है, पिछले 15 साल से किसी भी सरकार ने इसे बढ़ाने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई। दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले हमारा हेल्थ सेक्टर पे खर्चा काफी कम है।
प्राइवेट सेक्टर घुसने के लिए है तैयार।
सरकार की लापरवाही से देश का स्वास्थ्य संस्थाये निजी हाथों मे जाने को तैयार है। जो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत होगा। जो काम सरकार को करना चाहिए था वह काम अब यह कॉर्पोरेट कंपनीया करेगी मगर कॉर्पोरेट कंपनी का एक ही उसूल होता है मुनाफा कमाना तो इसके लिए आपसे के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करके किसी भी तरहा मुनाफा कमाया जायेगा। इसमे आपकी लूट होना तो तय है।
अस्पताल आपसे कितना भी पैसा ले सकता है उसके लिए कोई रोक नहीं होगी क्युकी इसमे सरकार का कंट्रोल न होने की वजह से आपकी लूट तो पक्की है।
सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा।
सरकारी अस्पताल यह अपना हक का अस्पताल होता है पर राजकीय इच्छाशक्ति के अभाव मे इसकी दुर्दशा हो गयी। लोग सरकारी अस्पताल की जगह निजी अस्पतालों के डॉक्टर के पास मे जाना पसंद करते है क्युकी इलाज अच्छा होता है। पर वही डॉक्टर सरकारी अस्पताल मे हो तो भी लोग वहा नहीं जाते क्युकी वो डॉक्टर सरकरी अस्पताल की जगह उनके निजी क्लिनिक मे अच्छा इलाज करता है। पर किसी सरकार ने यह समस्या को छुड़ाने का प्रयत्न नहीं किया ताकि वह डॉक्टर अपने लोग समझ के सरकारी अस्पताल मे ही अच्छा इलाज करे। आज अस्पताल पैसे कमाने का जरिया बन गया है। पर इसे कही तो रोकना होगा।
भ्रष्टाचार को बढ़ावा होगा।
अगर हेल्थकेयर सेक्टर निजी हाथों मे चला जाता है तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसमे अमीर तो बच जाएंगे पर गरीब नहीं बच पाएंगे। जीन लोगों के पास दो वक्त की रोटी के लिए पैसा नहीं होगा वह लोग निजी अस्पतालों मे कैसे इलाज करेंगे।
अस्पताल को खुली छुट होगी जो उसका उपयोग करके लोगों को लूटेंगे इससे भ्रष्टाचार को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह किसी धर्म के लिए नहीं तो सभी धर्म के लोगों के लिए समस्या होगी। दिनो दिन इलाज महंगा होता जा रहा है जो आम आदमी के पोहोच से दूर होता जा राहा है। अगर निजीकरण को रोका नहीं गया तो भविष्य खतरे मे है। आपकी जान निजी हाथों मे चली जाएंगी।
हेल्थ सेंटर की कमी।
जानकारी के अनुसार देश मे प्राइमेरी हेल्थ सेंटर(PHC) की 22 फीसदी और कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर (CHC) की 32 फीसदी कमी है। 50 फीसदी लोगों को अच्छी हेल्थ सर्विस के लिए 100 km की यात्रा करके जाना पड़ता है। 1.1 बेड 1000 लोगों के लिए उपलब्ध है। 70 फीसदी अस्पताल देश के 20 शहरों मे है। निजीकरण मे सरकार सिर्फ पैसा देने वाली रहेगी बाकी सब प्राइवेट सेक्टर संभालेगा। हेल्थ सेक्टर का इन्डस्ट्रीलाईझेसन(Industrialization) होगा।