कोरोना वैक्सीन Sputnik V की क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trial) मे सात मे से एक व्यक्ति मे इसका साइड-इफेक्ट दिखा है। इस वैक्सीन की क्लीनिकल ट्रायल कुछ ही हफ्तों मे भारत मे होने जा रही है। डॉ रेड्डी लैबॉरेटरीज़ के साथ वैक्सीन ट्रायल का हुआ समझोंता।
न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर
Sputnik V को मास्को की गामलेया इंस्टिट्यूट ने बनाया है। Sputnik V के ट्रायल मे जीन लोगों को वैक्सीन दी जा रही थी, उनमे से हर सात व्यक्ति मे से एक व्यक्ति को साइड-इफेक्ट हो रहे थे। अब इस वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल भारत मे होने जा रही है।
रूस के सोवेरेन वेल्थ फंड ने भारत की फार्मसूटिकल कंपनी डॉ रेड्डी से समझोंता किया है। इस समझोते के तहत कोरोना वैक्सीन sputnik v को भारत मे सहयोग किया जायेगा। इसमे क्लीनिकल ट्रायल के लिए 1000 -2000 लोगों को शामिल किया जायेगा। देश के विभिन्न सरकारी और प्राइवेट अस्पताल मे इसका क्लीनिकल ट्रायल किया जायेगा।
रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड और डॉ रेड्डी लैबॉरेटरीज़ मिलकर भारत मे फेज-3 का ट्रायल किया जायेगा, इसके लिए यहा की लोकल रेग्युलेटरी से अप्रूवल लिया जायेगा और कुछ ही हफ्तों मे ट्रायल शुरू हो जाएगी।
निर्माण और सप्लाई :
डॉ रेड्डी लैबॉरेटरीज़ को रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड की तरफ से 100 मिलियन डोसेस भेज दिए जाएंगे। रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड ने भारत के कंपनीयो से 300 मिलियन डोसेस बनाने का अग्रीमेंट कर दिया है।
वैक्सीन की फेज-1 और फेज-2 ट्रायल हो चुकी है, फेज-3 की ट्रायल भारत भर मे होने जा रही है। फेज-3 ट्रायल हजारों लोगों पर की जाती है, इसलिए क्लीनिकल ट्रायल का आकडा काफी बढ़ सकता है और इसे भारत के नागरिकों पर प्रयोग किया जा राहा है तो हमे सतर्क भी रहना है।
हालाकी भारत को वैक्सीन की इतनी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। पहले वैक्सीन को पूरी तरह से जिस देश मे बनी है वही फेज-3 की टेस्टिंग कर लेना चाहिए और बाद मे बुलाना चाहिए पर यहा तो सोचे समझे वैक्सीन डोसेस का नागरिकों पर उपयोग किया जायेगा। लोग अपने आप ठीक हो रहे है, इसलिए वैक्सीन की उतनी भी जरूरत नहीं है।
एक्सपर्ट क्या कह रहे है।
यू.के. के साइअन्टिस्ट का कहना है की फेज-2 ट्रायल शामिल हुये व्यक्ति मे ऐन्टीबाडी रीस्पान्स दिखाया है तो इसका मतलब यह नहीं की यह कोरोना वैक्सीन उनकी वायरस से पूरीतरहा सुरक्षा करेगी। और यह वैक्सीन 18 से 60 आयु के हेल्थी लोगों पर यह सुरक्षित देखी गयी है, पर अगर किसी व्यक्ति की उम्र ज्यादा है तो या उसको कोई बीमारी जैसे बी.पी., हार्ट अटैक आदि हो तो उस पर कैसे काम करेगी इसका कुछ पता नहीं है की वह कितनी सुरक्षित रहेगी। यह कैसे काम करेगी इसके लिए काफी सारे लोगों पर इसका ट्रायल करना पड़ेगा और यही ट्रायल भारत मे होने जा राहा है, जिसमे 40 हजार से ज्यादा लोगों को शामिल किया जा सकता है। इसका ट्रायल करना काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
रशिया मे वैक्सीन का विरोध हो राहा है।
रशिया मे कोरोना वैक्सीन का विरोध हो राहा है। खासकरके रशिया के शिक्षक और डॉक्टर वर्ग की तरफ से Sputnik V कोरोना वैक्सीन का विरोध हो राहा है। लोगों का कहना है की “वैक्सीन को रेल्वे की गति से जल्दबाजी मे बनाया गया है।“
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