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कोरोना की पहली वैक्सीन स्पुट्निक(Sputnik V) कितनी सुरक्षित? जानिये सच

स्पुट्निक वी(Sputnik V) यह दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसे मास्को की गमलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने बनाया है। इस वैक्सीन का फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल भारत मे इसी महीने से शुरू हो सकता है। यह वैक्सीन अभी तक पूरी तरहा सुरक्षित है के नहीं यह पता नहीं। फेज 3 के नतीजों के बाद इसकी सुरक्षितता के बारे मे कुछ कह सकते है।

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर।

स्पुट्निक वी(Sputnik V) यह दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन है, जिसकी फेज 3 ट्रायल भारत मे हो सकती है। भारत के लोगों पर इसका परीक्षण किया जायेगा। इस बारे मे भारत और रूस की बातचीत शुरू है। हाल ही में लॉच की गयी रूस की कोरोना वैक्सीन की सप्लाई और उत्पादन को लेकर भारत और यहा की फार्मा कंपनी से बातचीत चल रही है।  जल्द ही यह वैक्सीन भारत में उपलब्ध हो सकती है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतीन ने 11 अगस्त को दुनिया की पहली वैक्सीन के तौर पर इसे लांच किया था।  

यह दुनिया की पहली वैक्सीन है जिसे रेग्यूलेटोरी अप्रूवल बहुतही जल्द मिला है। रूस का मानना है की इससे कोरोना के खिलाप इम्यूनिटी हासिल होती है। रूस की स्पतनिक न्यूज एजेंसी नुसार, इस वैक्सीन के कोई नुकसान वाले संकेत नहीं मिले है।

इस वैक्सीन का फेज 1 और फेज 2 ट्रायल समाप्त हो चुका है। इस ट्रायल मे 76 हेल्थी लोगों शामिल किया गया था, इन लोगों पर इसका ट्रायल हो चुका है। फेज 3 मे 40 हजार से ज्यादा लोगों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल होगा।

यह वैक्सीन पूरी तरहा से फेज 3 क्लीनिकल ट्रायल मे है। क्लीनिकल ट्रायल(Clinical Trials) मे सामान्य प्रयोग करने से पहले दवाइयों के प्रभाव और कुप्रभाव का अध्ययन करने के लिए परीक्षण किया जाता है। इसके परीक्षण के लिए हेल्थ अथॉरिटी से अनुमति लेनी पड़ती है। इसके परीक्षण मे बीमारी को रोकने के लिए बीमार व्यक्ति पर या अन्य व्यक्ति पर परीक्षण कीये जाते है। इसमे अध्ययन के लिए कोरोना जैसे बीमारी से ग्रस्त पैशन्ट या स्वयंसेवक की जरूरत होती है। इस ट्रायल के दौरान लोगों की मृत्यु हों सकती है।

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एक्सपर्ट क्या कह रहे है?

एक्सपर्ट का कहना है की इस वैक्सीन का आवश्यक अप्रूवल के साथ फेज 3 ट्रायल शुरू हो जाना चाहिए। पर कुछ एक्सपर्ट उलझन मे है की जिस तेजी से इस दवा को अप्रूवल मिला है तो क्या वाकई मे यह उतना तेज काम करेगी क्या ? और यह वैक्सीन की टेस्टिंग काफी छोटे पैमाने पे हुई जिससे यह साबित नहीं होता की यह सचमुच मे कोरोना वायरस पर कारगर है। सिर्फ 76 लोगों पर टेस्टिंग करके इसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं कह सकते।

यू.के. के साइअन्टिस्ट का कहना है की ट्रायल 2 मे शामिल हुये लोगों मे ऐन्टीबाडी रीस्पान्स दिखाया है तो इसका मतलब यह नहीं की यह वैक्सीन उनकी वायरस से सुरक्षा करेगी। और रिजल्ट के अनुसार यह वैक्सीन 18 से 60 आयु के हेल्थी लोगों पर यह सुरक्षित देखी गयी है, पर अगर किसी की उम्र ज्यादा होती है तो या उसको कोई बीमारी जैसे बी.पी., हार्ट की बीमारी आदि हो तो उस पर कैसे काम करेगी इसका कुछ पता नहीं है की वह कितनी सुरक्षित रहेगी। यह कैसे काम करेगी इसके लिए काफी सारे लोगों पर इसका ट्रायल करना पड़ेगा और यही ट्रायल भारत मे होने जा राहा है, जिसमे 40 हजार से ज्यादा लोगों को शामिल किया जायेगा। इसका ट्रायल करना काफी खतरनाक साबित हो सकता है।

फिलहाल भारत मे ऑक्सफोर्ड वैक्सीन और भारत कोवाक्सिन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू है। डबल्यूएचओ(WHO) के अनुसार कोरोना वायरस की 176 नयी वैक्सीन बन रही है, इनमे से 34 वैक्सीन ट्रायल मे है।

रशिया के लोग इस वैक्सीन को शक की नजर से देख रहे है।

खास करके रूस के शिक्षक और डॉक्टर वर्ग के तरफ से स्पुट्निक वी वैक्सीन के लिए विरोध हो राहा है क्युकी सरकार शिक्षक और डॉक्टरो पर ही सबसे पहले और ज्यादा इस वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाली है। रशियन टीचर यूनियन ने वैक्सीन के खिलाफ ऑनलाइन पिटिशन दाखल की है। वहा के टीचर का कहना है की “यह वैक्सीन अभी सुरक्षित नहीं है और इसकी क्वालिटी भी अच्छी नहीं है तथा इस वैक्सीन को रेल्वे की गति से जल्दबाजी मे बनाया गया है।“

रूस की सरकार की तरफ से कोरोना का टीका लगाने के लिए शिक्षकों को पैसों का लालच दिया जा राहा है। वहा के डॉक्टर भी इसे लोगों को लेने से मना कर रहे है। लोगों को इसके बारे मे मतदान लिया गया तो 50 फीसदी लोगो इस वैक्सीन पे शक है ऐसा मतदान किया है, ऐसा मास्को के मेयर सर्गे सोबयानीन ने कहा है।

आशीष झा, डीन ऑफ ऑफ दी ब्राउन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने कहा की “ हमे कोई आइडीया नहीं है की यह वैक्सीन सुरक्षित है और अच्छी तरीके से काम करती है। यह चिंता की बात है की जब व्यक्ति वैक्सीन विकसित करने की प्रक्रिया के स्टैन्डर्ड को बाइपैस करता है।“

ओपेनसा ने कहा है “जिन्होंने भी वैक्सीन मे इंटेरेस्ट लिया है उन्होंने पहले यह देखना चाहिए की यह सुरक्षित और परिणामकारक है की नहीं। किसी भी वैक्सीन प्रापर टेस्टिंग हुये बगैर उसका उपयोग नहीं करना चाहिए, इसके कोई अनिश्चित और अनिष्ट परिणाम हो सकते है।“

स्पुट्निक वी(Sputnik V) वैक्सीन एक जुआ है जिसे भारत देश खेलने जा रहे है, जिस तरहा इस से पहले भारत मे ऑक्सफोर्ड वैक्सीन और भारत कोवाक्सिन इन दो वैक्सीन पे क्लीनिकल ट्रायल के तहत खेलना शुरू है। अभी भी भारत ऑक्सफोर्ड वैक्सीन और भारत कोवाक्सिन का क्लिनिकल ट्रायल शुरू है, शायद इस वजह से जो कुछ लोग अस्पताल से घर नहीं पहुच पा रहे है, सीधा दुनिया से अलविदा हो रहे है।

यह आपके इनफार्मेशन के लिए है। स्वस्थ रहिए और सुरक्षित रहिए।

एक प्रण करना है, देश को बचाना है।

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