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लॉकडाउन(Lockdown) का सच, एक गेम प्लॅन।

पूरे देश और पूरी दुनिया मे कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन(Lockdown) किया गया। जिसमे देश-दुनिया का काफी नुकसान हुआ। पर क्या लॉकडाउन इतना जरूरी था या उसे टाल सकते थे? क्या होता अगर लोग लॉकडाउन मे घर से बहार निकलते तो?

न्यूज मेडियेटर्स – आकाश वनकर

जिस तरहा भारत एवं पूरे दुनिया मे लॉकडाउन लगाया गया, बिल गेट्स ने अपने एक इंटरव्यू मे लॉकडाउन लगाने का कारण बताया जो काफी गंभीर है। आज हमे लगता है क्या सचमे लॉकडाउन की जरूरत थी, अगर लॉकडाउन नहीं होता तो क्या होता?

बिल गेट्स(Bill Gates) के हमेशा बयान आते रहे की लॉकडाउन होना चाहिए उसे लंबा चलना चाहिए। ऐसे ही उन्होंने अपने बयान मे कहा की “ हमे कोरोना से स्वस्थ(Recovered) हुये व्यक्ति नहीं चाहिए। हम पुरे यूनाइटेड स्टेट्स को बंद करने के कोशिश मे है क्युकी हम नहीं चाहते की 1 फीसदी लोग भी वायरस से प्रभावित हो। अभी यहा लोग उतने कोरोना वायरस से प्रभावित नहीं हुये पर , तीस लाख लोग इससे प्रभावित हो सकते है। मै  ऐसी आशा करता हु, हमे कोरोना से प्रभावित होने से बचना चाहिए, चाहे उसके लिए कितना ही आर्थिक नुकसान हो। “

क्या होता अगर लॉकडाउन नहीं होता?

जैसे बिल गेट्स ने कहा की “हमे कोरोना से स्वस्थ हुये लोग नहीं चाहिए और लोग कोरोना से प्रभावित भी न हुये हो।“

इस बात से तो यही लगता है की बिल गेट्स लॉकडाउन करके लोगों को कोरोना के प्रभाव से दूर रखना चाहता था। ताकि लोग कोरोना से बीमार न पड़े। अगर लोग कोरोना से संपर्क मे आ जाते और उसकी वजह से बीमार पड़ते तो लोगों के शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति की वजह से उनमे नैसर्गिक ऐन्टीबाडी बन जाती, जो उन्हे हमेशा के लिए इस बीमारी से छुटकारा दे देती।

पर बिल गेट्स और उसके साथी ऐसा नहीं चाहते थे की लोग नैसर्गिक तरीके से ठीक हो बल्कि वह ये चाहते थे की एक ऐसी महंगी व्यवस्था तैयार हो जिसमे लोग कोरोना का टेस्ट करे और साथ मे ऐन्टीवाइरल दवाईया और वैक्सीन विकसित हो और उनका उपयोग किया जा सके और उन्हे बेचा जा सके।

जो लोग कोरोना से प्रभावित हो गये है उन पर दवाईया और वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल कर सके, इसलिए लोगों को इतना डरा दिया की लोग कोरोना से ज्यादा उसके डर से ही डर रहे है। अस्पताल जा कर दवाइयों और वैक्सीन की ट्रायल से मर रहे है।

जो लोग घर मे बैठे रहे उनका क्या होगा ?

जो लोग लॉकडाउन के समय कोरोना संक्रमण से बीमार पड जाते उन पर अस्पताल मे दवाइयों और वैक्सीन की ट्रायल होता, ताकि दवाई और वैक्सीन की टेस्ट होकर जल्द से जल्द दवा तैयार हो सके। इसलिए सब फार्मा कंपनीज क्लीनिकल ट्रायल, दवाई और वैक्सीन के पीछे पड़े हुए है। क्युकी इन सबको बिल गेट्स फाउंडेशन से फन्डिंग हो चुकी है।

जैसे ही कुछ महीनों मे दवा तैयार हो जाएगी तो कोरोना वायरस वापस उन लोगों पर अटैक करेगा जो कोरोना से संक्रमित नहीं हुये है, जो लॉकडाउन मे घर मे बंद थे क्युकी उस समय लॉकडाउन समाप्त किया जायेगा। इसलिए वैक्सीन की राह देखते हुये, लॉकडाउन का अवधि बढ़ाया जा रहा है। जैसे ही वैक्सीन तैयार हो जाएगी सब लॉकडाउन खुल जायेगा और फिर वायरस हमला कर देगा , सबको वैक्सीन लेना पड़ेगा, जिससे फार्मा कंपनीज किट और वैक्सीन बेचकर खूब सारी कमायी कर सकेगी।

डिजिटल आइडी कार्ड ।

बिल गेट्स की योजना मे डिजिटल आइडी कार्ड की योजना है, जिसमे सरकार सर्टिफिकेट देंगी की इस व्यक्ति को वैक्सीन लगी है, उससे वह व्यक्ति कही भी यात्रा कर पायेगा। यह डिजिटल आइडी कार्ड लोगों की आजादी का कार्ड होगा, जिससे आपको डिजिटली कंट्रोल किया जायेगा। यह टेक्नॉलजी बनाने वाली कंपनी को भी बिल गेट्स ने फंड कीया हुआ है।

इसिलए जब पैशन्ट कम थे तब सब लॉकडाउन था और जैसे ही पैशन्ट बढ़ रहे है लॉकडाउन खोला जा राहा है। वैक्सीन आने के बाद पूरा खोला जायेगा ताकि आप कोरोना वायरस की चपेट मे आ सके।

कोरोना वैक्सीन जल्दबाजी मे बन रही है।

एक्सपर्ट का कहना है की वैक्सीन की अच्छी तरीके से टेस्टिंग करके वैक्सीन बनाकर अप्रूवल लेने के लिए 5 साल से 15 साल लग सकते है। पर यहा पर तो छह महीने मे वैक्सीन बनाकर टेस्टिंग भी चालू कर दी है और इस दवाई और वैक्सीन को अप्रूवल भी दिया जा राहा है। ऐसी वैक्सीन के काफी गंभीर परिणाम हो सकते है।

H1N1 मे भी काफी लोगों को वैक्सीन लगाया गया जिसकी वजह से ब्रैन डैमिज जैसे भयंकर परिणाम हुये थे। जैसे ही कोरोना की वैक्सीन बन जायेगी तो एक ओर कोरोना की लहर आयेगी, इससे बचने के लिए आपको अपनी नैसर्गिक रोगप्रतिकारकशक्ति (Natural Immunity ) बढ़ानी पड़ेगी।

यह पढे : कोरोना वैक्सीन एक साजिश, बिल गेट्स(Bill Gates) शामिल ।

1947 और 2020 का अशांत भारत देश।

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